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बड़ी खबर : डेंगू के भी कई रूप, अब ये वाला आया सामने, बढ़ाई टेंशन

Reporter Khabar Uttarakhand
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cm pushkar singh dhami

cm pushkar singh dhami

स्वास्थ्य के मोर्चे पर एक और चिंताजनक खबर सामने आ रही है। कोरोना का कहर हभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। चिंता की बात यह है कि देश के 11 राज्यों में डेंगू के टाइप-2 मरीज मिल रहे हैं। केंद्र सरकार के अनुसार ऐसे मरीजों में डेंगू के अन्य रूपों की तुलना में ज्यादा जटिलताएं देखी जा रही हैं। जिससे जान का खतरा बढ़ जाता है। डेंगू का टाइप-2 स्ट्रैन पहले व तीसरे स्ट्रेन से ज्यादा खतरनाक है।

लखनउ के संजय गांधी पीजीआई के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग के हेड प्रो.टीएन ढोले ने बताया कि टाइप-2 स्टेन से संक्रमित मरीजों में प्लेटलेट काउंट बहुत तेजी से गिरता है। डॉ. ढोले ने बताया कि यह डेंगू में दो तरह से असर करता है। पहला डेंगू हेमरेजिक फीवर (DHF) और दूसरा डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) है। डेंगू हेमरेजिक फीवर ज्यादा खतरनाक नहीं है लेकिन शॉक सिंड्रोम में बुखार उतरने के बाद मरीज में तेजी से प्लेटलेट की संख्या कम होने प्रकृति देखी गई है।

टाइप-2 डेंगू मरीज का बुखार उतरने के बाद भी दी प्लेटलेट्स की जांच कराते रहना चाहिए। यदि प्लेटलेट्स बुखार उतरने के बाद भी 30 हजार से कम हैं तो मरीज को पूरी तरह से आराम करना चाहिए। उसे पौष्टिक तरल पदार्थ देना चाहिए। जिससे शरीर में द्रव की कमी न हो। यदि प्लेटलेट्स इसके बाद भी घटे तो मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना जरूरी है। जिससे उसे प्लेटलेट्स चढ़ायी जा सके। उन्होंने बताया कि प्लेटलेट्स काउंट कम होने से रक्तस्राव होने की संभावना होती है।

शरीर के प्रतिरक्षण तंत्र और मरीज की शारीरिक स्थिति के अनुसार रक्तस्राव हो सकता है। कुछ मरीजों में 10 हजार प्लेटलेट्स काउंट होने पर भी रक्तस्राव नहीं होता तो कुछ में 30 से 40 हजार काउंट होने पर रक्तस्राव की प्रकृति देखी गई है। डॉ. ढोले ने बताया कि कुछ मरीजों में डेंगू और मलेरिया दोनों परजीवी मिले हैं। इसलिए घर के अंदर और बाहर साफ-सफाई सबसे ज्यादा जरूरी है।

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