Dehradun : उत्तराखंड : लता मंगेशकर ने गढ़वाली फिल्म में गाया था गाना, नहीं ली थी फीस - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

उत्तराखंड : लता मंगेशकर ने गढ़वाली फिल्म में गाया था गाना, नहीं ली थी फीस

Reporter Khabar Uttarakhand
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Garhwali film

Garhwali film

देहरादून: स्वर कोकिला लता मंगेशकर को पहाड़ों से खास लगाव रहा है। उनके गानों को नैनीताल में फिल्माया गया। लेकिन, जो खास रही, वो यह थी कि लता मंगेशकर ने गढ़वाली फिल्म रैबार के लिए मन भरमैगी मेरु गाने को अपनी आवाज दी थी। लता दीदी ने जिन 30 से ज्यादा भाषाओं में गाने गए, उनमें एक भाषा गढ़वाली भी थी। उनका गाया गाना आज भी मन को आनंदित कर देता है। मंत्रमुग्ध कर देता है।

1990 में गढ़वाली फिल्म रैबार रिलीज हुई थी। फिल्म में आज की सबसे बड़ी समस्या पलायन का संदेश किया गया था। इसकी खास बात यह थी कि इस में लता मंगेशकर ने भी एक गाना गया था। वह गाना आज भी लोगों के दिलों पर राज कर रहा है। उस गोने का लता दीदी ने हमेशा के अमर कर दिया। उस गाने के लिए उन्होंने एक रुपया भी नहीं लिया था। बिल्क गाने के जरिए जो उनको पैसा दिया जाना था, वह उन्होंने बरीग बच्चों की पढ़ाई के लिए दान करने के लिए कहा था।

इस गीत की रिकार्डिंग लता मंगेशकर द्वारा 4 अक्टूबर 1988 के को मुंबई में की गई थी। रिकार्डिंग खत्म होने के बाद जब लता मंगेशकर को निर्माता किशन पटेल ने एक चैक दिया तो उन्होंने इसे ख़ुद न लेकर बच्चों की एक संस्था को डोनेट करवा दिया। संगीतकार कुंवर बावला ने बताया कि फीस कितनी थी, इस बारे में तो हमें जानकारी नहीं है, लेकिन लता दी ने चैक ख़ुद न लेकर एक संस्था को डोनेट कर दिया था।

लता मंगेशकर की आवाज में गाये गये इस गीत के बोल देवी प्रसाद सेमवाल ने लिखे और कुंवर सिंह रावत यानी कुंवर बावला ने इसे संगीत दिया था। लता मंगेशकर की आवाज में रिकार्ड यह एकमात्र गढ़वाली गीत है। उसके बाद इसी गीता को फिर से निर्माता निर्देशक अनुज जोशी ने फिर से फिल्माया था।

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