National : देश संविधान से चलेगा न की राजा के डंडे से, जानिए क्यों उठ रही संसद से सेंगोल को हटाने की मांग? - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

देश संविधान से चलेगा न की राजा के डंडे से, जानिए क्यों उठ रही संसद से सेंगोल को हटाने की मांग?

Renu Upreti
2 Min Read
Know why the demand is rising to remove Sengol from Parliament?
Know why the demand is rising to remove Sengol from Parliament?

18 वीं लोकसभा के पहले संसदीय सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने- सामने हैं। इस बीच 77 साल पुराने सेंगोल का मुद्दा एक बार फिर संसद भवन में उठ गया है। सपा पार्टी के नेता सेंगोल को संसद भवन से हटाने की मांग कर रहे हैं।  दरअसल, बीते दिन गुरुवार को जब राष्ट्रपति मुर्मू संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित कर रही थीं तो हाउस में प्रवेश करते समय और बाहर निकलते समय सबसे आगे सेंगोल था। जैसे ही राष्ट्रपति का अभिभाषण खत्म हुआ तो सपा पार्टी के सांसदों ने संसद में सेंगोल को हटाकर संविधान की कॉपी रखने की मांग उठा दी।

म्यूजियम में रखना चाहिए सेंगोल

सपा पार्टी के सांसदों ने कहा कि देश में संविधान सर्वोपरि है, तो फिर लोकसभा में राजतंत्र के प्रतीक सेंगोल को रखने की क्या जरुरत है? इस संबंध में लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला को भी सपा सांसद आरके चौधरी ने पत्र लिखा और कहा कि सेंगोल को लोकतंत्रके मंदिर में रखने की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। इसे म्यूजियम में रखना चाहिए।

सेंगोल का हिंदी मतलब राजदंड

वहीं इस संबंध में सपा सांसद आरके चौधरी ने कहा कि सेंगोल तमिल भाषा का शब्द है। जिसका हिंदी में मतलब राजदंड होता है। राजदंड का दूसरा मतलब राजा की छड़ी होता है। जब कभी राजा अपने दरबान में बैठता था, तो फैसला करता था और एक डंडा/ छड़ी पीटता था। सपा नेता ने कहा कि अब इस देश में 555 राजाओं को सरेंडर करने ये देश आजाद हुआ है। ये देश संविधान से चलेगा न कि राजा के डंडे से चलेगा। इसलिए सपा पार्टी की मांग है कि लोकतंत्र को बचाना है तो संसद भवन से सेंगोल को हटाना होगा।

28 मई 2023 को हुआ सेंगोल संसद में स्थापित

बता दें कि पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी ने 28 मई 2023 को संसद के नए भवन में सेंगोल को स्थापित किया था। हालांकि उस दौरान भी विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध किया था।  

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