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किसान बिल विरोध : जानिए कौन हैं वो 13 किसान नेता जिनकी अमित शाह के साथ थी बैठक

Reporter Khabar Uttarakhand
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13 FARMERS MEETING WITH AMIT SHAH

13 FARMERS MEETING WITH AMIT SHAH

नए कृषि कानूनों के विरोध में मंगलवार को राष्ट्रव्यापी भारत बंद के बाद किसान यूनियन के क13 नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. ये बैठक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के गेस्ट हाउस में हुई. इस बैठक में कृषि सचिव समेत खई अधिकारी भी शामिल हुए. हालांकि बैठक में शामिल होने आए किसान नेता रुलदू सिंह नाराज होकर वापस सिंघु बॉर्डर लौट गए. उन्होंने कहा कि सरकार हमें बैठक के लिए कंफ्यूज कर रही है. वहीं किसान नेता राकेश टिकैत गृह मंत्री से मुलाकात करने के लिए उनके आवास पर पहुंचे. लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें एंट्री नहीं दी. बता दें कि गृह मंत्री के आवास में एंट्री से पहले गाड़ियों की चेकिंग होती है. वहीं पर किसान नेता राकेश टिकैत की भी गाड़ी को चेकिंग के लिए रोका गया. उन्हें भीतर प्रवेश नहीं करने दिया गया.

आइये आपको बताते हैं कौन हैं वो 13 नेता जिन्होंने अमित शाह से मुलाकात की

राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के शीर्ष और कद्दावर नेता रहे महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं। यह भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले किसानों की आवाज को लेकर कई बार सड़क पर आंदोलन कर चुके हैं। पिछले महीने भी वह हजारों किसानों के साथ मांगों को लेकर दिल्ली पहुंचे थे। उनके आह्वान पर हजारों किसान वहां एकत्र हुए थे।

गुरुनाम सिंह चन्नानी (60) हरियाणा के कुरुक्षेत्र के बड़े किसान और अढ़तिया हैं। वह कई वर्षों से किसानों के मुद्दों को लेकर संघर्ष करते रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में वे स्वयं निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े हुए थे।

पश्चिम बंगाल के हन्नाह मोल्लाह (74) आल इंडिया किसान सभा के नेता हैं और सीपीएम के सदस्य हैं। उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में सीपीएम ज्वाइन की थी और पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य बने।

मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के शिवकुमार कक्का जेपी आंदोलन से जुड़े रहे है। वे भी सरकार से वार्ता में शामिल रहे।

बीकेयू (राजेवाल) के नेता हैं। लुधियाना में जन्म बलबीर सिंह 1971 से किसान यूनियन के सदस्य हैं। उनके पास 60 एकड़ जमीन है। वह स्कूल, कालेज और एक “आनेस्टी” नाम की दुकान चलाते हैं, जिसमें कोई दुकानदार नहीं रहता है, बल्कि एक बाक्स रखा रहता है और ग्राहक को जो लेना होता है, उसका पैसा उसमें डालकर ले लेता है। वह कहते हैं कि वे जीवन में किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े।

पंजाब किसान यूनियन के रुल्डू सिंह मंसा (68) मालवा में प्रभावशाली हैं और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन से जुड़े हैं।

मंजीत सिंह भी प्रमुख किसान नेता हैं और कई बार किसान आंदोलन में सक्रिय रहे हैं।

बीकेयू (एकता डाकोंडा) के बूटा सिंह बुर्ज गिल (66) 1984 से किसानों के लिए काम कर रहे हैं और पंजाब राजभवन का कई दिनों तक घेराव किया था।

हरिंदर सिंह भी प्रमुख किसान नेता हैं और किसानों की मांग को लेकर आवाज उठाते रहते हैं।

मालवा क्षेत्र के क्रांतिकारी किसान यूनियन के डॉ. दर्शन पाल (70) मेडिकल सर्विस छोड़कर अपने पैतृक 15 एकड़ जमीन पर खेती शुरू की थी।

जम्हूरियत किसान सभा के कुलवंत सिंह संधू (65) वामपंथी नेता हैं और रिवोल्यूशनरी मार्क्सिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के सेंट्रल कमेटी के सदस्य हैं।

बोघ सिंह मंसा (68) भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं। वह पिछले 42 साल से किसानों के मुद्दे पर संघर्ष कर रहे हैं। वह पंजाब छात्र संघ से भी जुड़े हैं।

17 एकड़ भूमि के मालिक जगजीत सिंह दल्लेवाल एक किसान परिवार से हैं। वह तीन दशक से किसान आंदोलन से जुड़े हैं। उनका कहना है कि कृषि कानूनों से किसानों का जो नुकसान होगा, वह एक फसल नहीं बोने से ज्यादा है।

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