Dehradun : जानें क्या है जेल से मुजरिमों को मिलने वाली परोल और फरलो ? - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

जानें क्या है जेल से मुजरिमों को मिलने वाली परोल और फरलो ?

Reporter Khabar Uttarakhand
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breaking uttrakhand newsदेहरादून: जेल में बंद मुजरिम को परोल मिलने के बात तो आपने सुनी होगी। लेकिन क्या आपने कभी फरलो के बारे में सुना है। अगर सुना है, तो इनके बीच क्या अंतर होता है। यह जानना भी जरूरी है। दोनों के बीच बुनियादी अंतर को जानना जरूरी है।

ये है फरलो

कानून के अनुसार जो मुजरिम आधी से ज्यादा जेल काट चुका हो, उसे साल में 4 हफ्ते के लिए फरलो दिया जाता है। फरलो मुजरिम को सामाजिक या पारिवारिक संबंध कायम रखने के लिए दिया जाता है। इनकी अर्जी डीजी जेल के पास भेजी जाती है और इसे गृह विभाग के पास भेजा जाता है और उस पर 12 हफ्ते में निर्णय होता है। एक बार में दो हफ्ते के लिए फरलो दिया जा सकता है और उसे दो हफ्ते के लिए एक्सटेंशन दिया जा सकता है।

ये है परोल

फरलो मुजरिम का अधिकार होता है, जबकि परोल अधिकार के तौर पर नहीं मांगा जा सकता। पैरोल के दौरान मुजरिम जितने दिन भी जेल से बाहर होता है, उतनी अतिरिक्त सजा उसे काटनी होती है। फरलो के दौरान मिली रिहाई सजा में ही शामिल होती है। आधी से ज्यादा सजा काट चुके मुजरिम अक्सर फरोल के लिए ही आवेदन करते हैं।

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