Dehradun : उत्तराखंड : इस बार करवाचौथ पर बन रहा है खास संयोग, ये है पूजन का शुभ मुहूर्त - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

उत्तराखंड : इस बार करवाचौथ पर बन रहा है खास संयोग, ये है पूजन का शुभ मुहूर्त

Reporter Khabar Uttarakhand
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a special coincidence

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देहरादून: अखंड सौभाग्य का व्रत करवाचौथ की तैयारियां जोरों पर हैं। कल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी 24 अक्तूबर करवाचौथ को त्योहार मनाया जाएगा। सुहागिन महिलाओं ने लगभग सभी तैयारियां कर ली हैं। इस दिन महिलाएं अपने जीवन साथी की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए निर्जल व्रत रखती है और रात को चांद निकलने के बाद विधिवत पूजा-अर्चना के आद अपना व्रत खोलती हैं।

करवाचौथ पर्व पर इस बाद पांच साल बाद खास योग बन रहा है। करवाचौथ पर रोहिणी नक्षत्र और रविवार का संयोग बन रहा है। इस खास संयोग में भगवान श्रीगणेश के साथ ही सूर्यदेव की भी विशेष कृपा रहेगी। सस दिन व्रत रखने से गणेश भगवान के साथ ही सूर्यदेव का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि करवाचौथ का व्रत निर्जल किया जाता है।

व्रत में चांद के उदय होने पर भगवान गणेश, कार्तिकेय, माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करके चंद्र को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त किया जाता है। चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की जन्मतिथि मानी जाती है, इसलिए इस दिन महिलाओं के साथ ही कोई भी व्यक्ति उपवास रख सकता है। व्रत के रखने से जहां विवाहित महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा करती हैं, वहीं कुंवारी युवतियां इस व्रत को रखकर विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करती हैं।

करवा चौथ पूजन के लिए चांद रोहिणी नक्षत्र में निकलेगा और महिलाएं चंद्रदर्शन कर अपना व्रत खोलेंगी। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 24 अक्तूबर को सुबह 3.01 बजे से शुरू होकर अगले दिन 25 अक्तूबर को सुबह 5.43 बजे तक रहेगी। इस दिन चंद्रोदय का समय 8.11 बजे है। पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6.55 बजे से 8.51 बजे तक रहेगा।

करवाचौथ पूजन पर व्रती महिलाओं को कुछ खास नियमों का पालन करना चाहिए। इस दिन सफेद चीजों का दान नहीं करना चाहिए। सुई-धागा, कढ़ाई-सिलाई आदि से बचना चाहिए। किसी का अपमान नहीं करना चाहिए। वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। भूरे और काले रंग के कपड़ों को नहीं पहनना चाहिए। दिन में सोना नहीं चाहिए। इस दिन गेहूं अथवा चावल के दानें हाथ में लेकर कथा सुननी चाहिए।

बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की मूर्तियों की स्थापना करें।  यदि मूर्ति ना हो तो सुपारी पर धागा बांध कर उसकी पूजा की जाती है। इसके बाद अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए देवी देवताओं का स्मरण करें और करवे सहित बायने (खाने) पर जल, चावल और गुड़ चढ़ाएं।

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