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ISRO ने रचा इतिहास, Aditya L-1 ने की हैलो ऑर्बिट में एंट्री

Renu Upreti
3 Min Read
ISRO created history, Aditya L-1 entered Hello Orbit
Aditya L-1

इसरो ने एक और इतिहास रच दिया है। आदित्य एल-1 मिशन सूर्य के और करीब पुहंच चुका है। उसने खुद को अंतिम कक्षा में स्थापित कर लिया है।  आदित्य सैटेलाइट L1 प्वाइंट के हैलो ऑर्बिट में एंट्री कर चुका है। अब यह सूरज का अध्ययन कर कई अहम जानकारी पूरी दुनिया को देगा।

बता दें कि जिस लैंग्रेज प्वाइंट पर आदित्य एल-1 मिशन को स्थापित किया गया है, वहां पर गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय रहता है। अब इसी जगह से आदित्य लगातार सूरज का अध्ययन करेगा। अंतरिक्ष के मौसम की अहम जानकारी साक्षा करेगा। पीएम नरेंद्र मोदी सहित तमाम बड़ी हस्तियों ने भारत की इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की है।

पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया

पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया कि, भारत ने एक और इतिहास लिख दिया है। भारत का पहला सूर्य मिशन अपनी मंजिल पर पहुंच चुका है। ये हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत का प्रमाण है, इसी वजह से इतना जटिल मिशन भी सफल हो गया है। मानवता की भलाई के लिए आगे भी ऐसे और मिशन जारी रखे जाएंगे।

Aditya L-1 मिशन का क्या है लक्ष्य

आदित्य एल-1 मिशन का लक्ष्य एल 1 के पास की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है। यह मिशन सात पेलोड लेकर जा रहा है जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर, क्रोमोस्फेयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत पर रिसर्च करने में सूर्य की मदद करेंगे। मिशन का उद्देश्य सूर्य के कोरोना का निरीक्षण करना और पहले सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन प्वाइंट के चारों ओर एक प्रभावमंडल कक्षा में इसकी अत्यधिक गर्मी को समझना है, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित है। इसरो चीफ ने रिपोर्ट में बताया कि जब आदित्य एल 1 अपने गंतव्य पर पहुंच जाएगा तो यह अगले 5 सालों तक सूर्य पर होने वाली विभिन्न घटनाओं का पता लगाने में मदद करेगा।

पहले सूर्य पर जा चुके हैं 22 मिशन

भारत से पहले 22 मिशन सूर्य पर भेजे जा चुके हैं। सूर्य अध्ययन करने के लिए अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी शामिल हैं। बता दें कि सूर्य का अध्ययन करने के लिए सबसे अधिक सूर्य मिशन नासा ने भेजे हैं। नासा ने अकेले 14 सूर्य मिशन भेजे हैं। नासा ने 2001 में जेनेसिस मिशन लॉन्च किया था। इस मिशन का मकसद सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए सौर हवाओं का सैंपल लेना था।

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