National : भारत के 'स्वदेशी ओपेनहाइमर', जिन्होंने दुनिया को दिखाई देश की परमाणु ताकत - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

भारत के ‘स्वदेशी ओपेनहाइमर’, जिन्होंने दुनिया को दिखाई देश की परमाणु ताकत

Reporter Khabar Uttarakhand
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apj abdul kalam

हॉलीवुड के फेमस निर्देशक और राइटर क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म ओपेनहाइमर के बाद से अमेरिका के साइंटिस्ट रॉबर्ट जे. ओपेनहाइमर आज कल खूब चर्चा में है। परमाणु बम के जनक कह जाने वाले ओपेनहाइमर ने दुनिया को सबसे पहले परमाणु बम से अवगत कराया।

भारत के पास भी काफी दशक से परमाणु शक्ति है। ऐसे में जानते है की किन वैज्ञानिकों की वजह से भारत के पास परमाणु बम है।

होमी जे भाभा

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इस लिस्ट में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक होमी जे भाभा सबसे पहले नंबर पर आते है। इन्होंने ही देश में परमाणु कार्यक्रम की नीव रखी। जिसके कारण भारत परमाणु शक्ति वाले देशों में शामिल है। जेआरडी टाटा के साथ भाभा ने टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च’ स्थापित किया।

साथ ही उन्होंने जब भारत आजाद हो गया था तब भारतीय वैज्ञानिकों से अपील की थी की वो भारत लौट आए। साल 1948 में उन्होंने भारतीय परमाणु ऊर्जा स्थापित की। इसका साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा में भारत की तरफ से लीड भी किया। पंडित नेहरू को भी भाभा ने ही परमाणु आयोग की स्थापना के लिए मनाया था।

आर. चिदंबरम

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आर. चिदंबरम बम डिजाइनर के रूप में जाने जाते है। देश के परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान का नेतृत्व करने वाले चिदंबरम ही थे। जिसके बाद वो देश की सरकार के लिए प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार बन गए। कम बोलने वाले बेहद शर्मीले चिदंबरम सुर्ख़ियों से कोसों दूर रहते थे।

1974 में चिदंबरम युवा वैज्ञानिक के तौर पर शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट का हिस्सा बने थे। इसके साथ ही एपीजे अब्दुल कलाम के साथ साल 1998 में परमाणु बम के परीक्षण का प्लान बनाया था।

‘द ब्लैकस्मिथ’ के संतनम

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के संतनम को ‘द ब्लैकस्मिथ’ के नाम से भी जाना जाता है। टीम को 1998 में परमाणु विस्फोटों के समय एक जुट करने का भार इन्हीं के ऊपर था। पोखरण-2 के समय संथनम डीआरडीओ के फील्ड डायरेक्टर थे।

बाद में वो दिल्ली के मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के निदेशक बन गए थे। इसके बाद वो पोखरण परीक्षणों के आलोचक भी रहे। के संतनम ने हाइड्रोजन बम बनाने पर भी सवाल उठाया था।

मिस्टर परफेक्शनिस्ट काकोदकर

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पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर अनिल काकोडकर को ‘परफेक्शनिस्ट’ के नाम से भी जाना जाता था। काकोदकर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी), के निदेशक भी थे। परमाणु बम में रेडियोधर्मी घटकों का भी जिम्मा काकोदकर के पास था।

परमाणु बम के सीक्रेट टेस्ट के समय काकोदकर के पिता का निधन हो गया था। इस मुश्किल दौर के बावजूद वो अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद काम पर लौटे।


इसके बाद जब भारत टेस्ट में सफल हुआ उसका प्रमाण सारी दुनिया को देखने को मिला। इसके बाद वो परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष बन गए। इसके साथ ही भारतऔर अमेरिका के नागरिक परमाणु समझौते के पीछे के मास्टरमाइंड भी काकोदकर ही थे।

मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम

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एपीजे अब्दुल कलाम को हम मिसाइल मैन के नाम से भी जानते है। साल 1958 में कलाम डीआरडीओ का हिस्सा बने थे। जिसके बाद इसरो को उन्होंने साल 1969 में ज्वाइन किया। जहां उन्होंने एसएलवी-३ प्रोजेक्ट की बतौर डायरेक्टर जिम्मेदारी ली।

डीआरडीओ में साल 1982 में वो वापस आए। जिक्से बाद उन्होंने कई सारी सफल मिसाइल भारत के लिए निर्माण की। जिसमें अग्नि मिसाइल भी शामिल थी। साल 1998 में हुए परमाणु हथियार परीक्षणों में उनका एहम किरदार था। इन सब से हमारा देश परमाणु शक्ति के रूप में दुनिया में मजबूत दिखा। राष्ट्रीय नायक के रूप में कलाम स्थापित हुए।

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