Big News : ये है रानीपोखरी पुल टूटने के पीछे का सबसे बड़ा कारण, 2020 में दो ठेकेदारों पर लगा था जुर्माना - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

ये है रानीपोखरी पुल टूटने के पीछे का सबसे बड़ा कारण, 2020 में दो ठेकेदारों पर लगा था जुर्माना

Reporter Khabar Uttarakhand
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Cm pushkar dhami

Cm pushkar dhami

देहरादून : बीते शुक्रवार को दून से ऋषिकेश जाने के लिए रानीपोखरी पर बना पुल टूट गया जिसमे दो वाहन चालक घायल हुए। वहीं इसके बाद सीएम समेत पूर्व सीएम हरीश रावत क्षतिग्रस्त पुल का जायजा लेने पहुंचे। हरीश रावत ने पुल के टूटने के पीछे की वजह अवैध खनन को बताया। वहीं सीएम के आदेश पर तीन सदस्यीय टीम गठित की गई. वहीं अब बड़ा खुलासा हुआ है।

रानीपोखरी पुल के टूटने के पीछे सबसे बड़ा कारण अवैध खनन

जी हां बता दें कि रानीपोखरी पुल के टूटने के पीछे सबसे बड़ा कारण अवैध खनन को बताया जा रहा है। लोनिवि अधिकारी पुल का निरीक्षण करने पहुंचे थे जिन्होंने पुल टूटने का बड़ा कारण खनन को बताया और कई कारण गिनाए। वहां के लोगों का कहना है कि यहां रात के अंधेरे में कई बार जेसीबी और पोकलैंड मशीनों से नदी से खनन किया जाता है। इसकी शिकायत भी की गई लेकिन सभी आंखें मूंदे रहे और अब टूटने पर सबको इसकी याद आई।

शासन की ओर से दो साल पहले से खनन के पट्टे किए थे जारी

जानकारी मिली है कि जाखन नदी में शासन की ओर से दो साल पहले से खनन के पट्टे जारी किए गए थे। खनन को लेकर उस वक्त भी सवाल उठते रहे हैं। रात के अंधेरे में यहां ज्यादा खनन होता है जिससे कई सवाल शासन पर भी खड़े हो रहे हैं। ना तो पुलिस ने इसपर ध्यान दिया ना किसी विभाग के अधिकारी-कर्मचारी ने।जाखन नदी में जमकर खनन किया जाता था। रानीपोखरी और आसपास क्षेत्र में कई व्यक्तियों ने अपने निजी भूखंडों पर अवैध खनिज भंडारण कर रखा था। वहीं जिनके पास खनिज भंडारण की अनुमति दी थी वे क्षमता से ज्यादा खनिज का भंडारण करते थे। शायद खनन करने वालों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था इसलिए वो बैखौफ होकर खनन करते थे।

पुलिस समेत विभागों की भी लापरवाही

आपको बता दें कि जाखन नदी में मई 2019 को खनन पर रोक लगाई गई थी। लेकिन फिर भी खनन माफिया नहीं माने और वो मुनाफे के लिए खनन करते रहे। पुलिस की भी बड़ी लापरवाही सामने आई है। तत्काल समय में अपर आयुक्त गढ़वाल मंडल हरक सिंह रावत जब यहां से गुजर रहे थे तो उन्होंने रात में मशीनों के जरिये खनन होता देखा। जिसके बाद उन्होंने उपजिलाधिकारी ऋषिकेश को कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे। उस कार्रवाई में जेसीबी पकड़ी गई थी। खनन को लेकर पुलिस कर्मियों समेत प्रतिनिधियों और संबंधित विभाग पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

2020 में वन क्षेत्राधिकारी ने लगाया था दो ठेकेदारों पर जुर्माना

मिली जानकारी के अनुसार सितंबर 2020 में पुल के नीचे बुनियाद और पिलर की सुरक्षा के लिए लोक निर्माण विभाग ने 40 लाख रुपये खर्च कर मरम्मत कार्य कराया था। इस दौरान पुल से 50 मीटर की दूरी पर ही खनन कर खनिज को इस निर्माण कार्य में प्रयोग में लाया जा रहा था। इस पर थानों रेंज के वन क्षेत्राधिकारी एनएल डोभाल ने विभागीय दो ठेकेदारों पर 30 और 20 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया था, लेकिन लोनिवि ने ऐसे ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड नहीं किया।

तीन विभागों के अंडर में आता है ये पुल

जानकारी मिली है कि ये पुलि तीन विभाग लोक निर्माण विभाग, वन विभाग और सिंचाई विभाग के अंडर में आता है लेकिन किसी ने भी इसकी सुध नहीं ली। वन विभाग की यहां जिम्मेदारी ज्यादा बनती है। वन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक आइएस नेगी ने बताया कि मई 2019 तक यहां खनन की अनुमति थी, उसके बाद से वन निगम की यहां भूमिका खत्म हो जाती है। वहीं बता दें कि अब जांच के लिए समिति का गठन किया गया है.देखने वाली बात होगी कि आखिर समिति की रिपोर्ट में क्या सच्चाई सामने आती है और दोषियों पर क्या कार्रवाई की जाती है।
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