उत्तरकाशी : सरकार चाहे पर्वतीय इलाकों में विकास के लाख दावे कर ले लेकिन तस्वीरें सच्चाई बयां करती है। सरकार के दावों की एक बार फिर पोल खुली उत्तरकाशी के मोरी क्षेत्र में जहां एक गर्भवती महिला को गांव वाले डोली में उठाकर 14 किमी पैदल चलकर अस्पताल पहुंचे।मूलभूत सुविधाएं ना होने के चलते प्रसव पीड़ा झेल रही एक महिला कों गांवे कंधे पर उठाकर दूर अस्पताल ले गए।
न सड़क है न एम्बुलेंस और न आसपास कोई अस्पताल और स्वास्थ्य सुविधाएं
जी हां मामला उत्तरकाशी जिले के मोरी के ओसला, गंगाड पट्टी बड़ासू में सालों से सड़क नही पहुंची ऐसे में बीमार होने पर गांव के लोगों को कठिन समस्याओं से जूझना पड़ता है। अगर किसी को स्वास्थ्य सेवाओं की और विकास की असल हकीकत जाननी है तो सुदूरवर्ती मोरी ब्लॉक बहुत कुछ बताती है। यहाँ आज भी लोग स्वास्थ्य सेवाओं से महरूम है औऱ सड़क के लिए तरस रहे हैं। पहले उत्तरप्रदेश और अब 20 साल के उत्तराखंड में भी तस्बीर नहीं बदली। गंभीर बीमार हो या फिर गर्भवती महिला को ले जाने की व्यवस्था यह तस्वीर बहुत कुछ बताने को काफी है। न सड़क है न एम्बुलेंस और न आसपास कोई अस्पताल और स्वास्थ्य सुविधाएं।
लोगों का वोट मिल गया अब उनसे क्या काम…फिर जाएंगे अगले चुनाव में
सरकार से लेकर विधायक और जनप्रतिनिधि सच्चाई से वाकिफ हैं लेकिन सुध लेने की जहमत नहीं उठाते। वोट मिल गया तो अब वहां क्या काम, उन लोगों का वोट मिल गया अब उन लोगों से क्या काम…फिर जाएंगे अगले चुनाव में। मोरी ब्लॉक के सामाजिक कार्यकर्ता दुर्गेश हालाते बयां करते हैं कि मोरी के ओसला, गंगाड पट्टी बड़ासू से गर्भवती महिला को कोसों दूर अस्पताल पहुंचाने के लिये यहां के लोग पीड़ा झेलने के बाद भी गर्व से कहते हैं हम भारतीय हैं।