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उत्तराखंड : मैं DIG बोल रहा हूं, दारोगा-सिपाही बोले-कौन डीआईजी, कहां का डीआईजी?

Reporter Khabar Uttarakhand
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amit shah

amit shahहल्द्वानी : उत्तराखंड पुलिस को मित्र पुलिस कहा जाता है लेकिन अगर उत्तराखंड पुलिस के दारोगा और सिपाही की बात करने का तरीका सुनागो तो मित्र पुलिस के सिपाही-दारोगा इस परपलीता लगाने का काम कर रहे हैं। आप उत्तराखंड में वर्दी की धोंस दिखाने का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि अगर डीआईजी अपने दारोगा या सिपाही को फोन करें और दारोगा सिपाही अपने डीआईजी को न पहचानकर बद्तमीजी से बात करें और कहें कि कौन डीआईजी, कहां का डीआईजी? तो सोचिए जनता के प्रति मित्र पुलिस के दारोगा और सिपाही का बात करने का तरीका क्या होगा। जी हां ये एक दम सच बात है और ऐसा करने पर दारोगा औऱ सिपाही को लाइन हाजिर भी कर दिया गया है।

मल्लीताल कोतवाली में तैनात दारोगा और सिपाही

जी हां डीआईजी को सूचना मिली कि मल्लीताल कोतवाली में तैनात दारोगा और सिपाही ने वाहन चेकिंग के दौरान एक महिला को रोका औऱ जो कि गाड़ी के कागजात घर भूल गई थी लेकिन दारोगा और सिपाही उसे चालान भरने के लिए कह रहे थे लेकिन महिला के पास पैसे नहीं थे। इतने में महिला ने डीआईजी को फोन कर दिया। जिसके बाद डीआईजी ने महिला से चेकिंग पर तैनात जवान से बात कराने के लिए कहा।

सिपाही और दारोगा बोले-कौन डीआईजी, कहां का डीआईजी?

महिला ने मौके पर मौजूद सिपाही विनोद यादव को फोन देते हुए कहा कि देकर डीआइजी साहब से बात कर लो। सिपाही ने इस बात को गंभीरता से न लेते हुए कहा कि कौन डीआइजी, कहां के डीआइजी। वहीं जब दारोगा दीपक बिष्ट को फोन देने के लिए कहा तो दारोगा ने भी यही सवाल डीआईजी से किया, ऐसी भाषा सुनकर डीआइजी सन्न रह गए।

दारोगा पर गिरी निलंबन की गाज़

डीआइजी ने तुंरत कार्यवाही करते हुए मल्लीताल के इंस्पेक्टर को पूरी जानकारी दी। जब चेकिंग में तैनात दारोगा और सिपाही तक डीआइजी के फोन होने की खबर पहुंची तो उनके होश उड़ गए। डीआईजी ने दारोगा दीपक बिष्ट व सिपाही विनोद यादव को लाइनहाजिर कर दिया। साथ ही दारोगा के निलंबन की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।

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