Religious : नवरात्रि में कैसे करें कलश स्थापना? क्या है इसका महत्व और नियम? जानें यहां - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

नवरात्रि में कैसे करें कलश स्थापना? क्या है इसका महत्व और नियम? जानें यहां

Renu Upreti
3 Min Read
How to establish Kalash during Navratri? What is its importance and rules?

जल्द ही देश में नवरात्रि का त्योहार मनाया जाएगा। नवरात्रि का पर्व शुरु होते ही सबसे पहले कलश स्थापना और उसका पूजन करने का विधान है। हिंदू धर्म में नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। कलश देवी मां दुर्गा का प्रतीक है। कलश में जल, अक्षत, रोली, मौली आदि भरकर उसे स्थापित करने से देवी मां दुर्गा का आवाहन किया जाता है। हिंदू धर्म में ये परंपरा वर्षों से मनायी जा रही है। मान्यता है कि कलश मां दुर्गा की शक्ति का प्रतीक है। यह सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है और घर में सुख समृद्धि लाता है। बता दें कि साल 2024 में शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरु होगी।

कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि को पहले दिन कलश स्थापना करने के लिए दो शुभ मुहूर्त हैं। कलश स्थापना के लिए पहला शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 15 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक है और घट स्थापना के लिए आपको 1 घंटा 6 मिनट का समय लगेगा। दोपहर में भी कलश स्थापना का मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त में है। यह सबसे अच्छा समय है। दिन में 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट के बीच कभी भी कलश स्थापना कर सकते हैं। दोपहर में आपको 47 मिनट का शुभ समय मिलेगा।

कलश स्थापना के नियम

  • नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के समय शुद्ध रहें।
  • मन में कोई भी नकारात्मक भाव नहीं लाना चाहिए।
  • पूरे नवरात्रि के दौरान कलश की विधि विधान से पूजा करें।
  • नवरात्रि के दिन नवमीं तिथि पर पूजा कर कलश विसर्जन करें।

कलश स्थापना की विधि

  • कलश स्थापना के लिए एक साफ और पवित्र स्थान का चुनाव करें और यह स्थान पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
  • कलश स्थापना के समय घड़ें में चावल, गेंहूं, जौ, मूंग, चना, सिक्के, कुछ पत्ते, गंगाजलस नारियल, कुमकुम, रोली डालें और उसके ऊपर नारियल रखें।  
  • घड़ें के मुंह पर मौली बांधे और कुमकुम से तिलक लगाएं और घड़ें को एक चौकी पर स्थापित करें।
  • कलश को रोली और चावल से अष्टदल कमल बनाकर सजाएं।
  • देवी मां के मंत्रों का जाप करें और कलश में जल चढ़ाएं और धूप दीप करें।

Share This Article