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Holi Ki Katha: कब और कैसे हुई होली की शुरुआत, शिव और कामदेव से जुड़ी ये कथा जानते है आप

Uma Kothari
3 Min Read
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Holi Story: हिंदी धर्म में होली का बहुत महत्व है। ये प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस साल होली 25 मार्च (Holi 2024) को मनाई जा रही है। रंगों का ये त्यौहार हर साल फाल्गुन मास में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत होलिका दहन से होती है। जो होली के एक दिन पहले पडती है।

ज्यादातर लोगों को होलिका दहन की कहानी का पता है। हर कोई जानता है की होलिका की कहानी राक्षसी होलिका, प्रह्लाद और विष्णु से जुड़ी है। लेकिन शायद ही कोई होली की कहानी (Holi Ki Katha) के बारे में जानता है। ऐसे में इस आर्टिकल में चलिए जानते है की होली क्यों मनाई जाती है और इसकी शुरुआत कहां से हुई।

होली से जुड़ी है कामदेव-भगवान शिव की कहानी (Holi Ki Katha)

पौराणिक कथाओं की माने तो ये तब का समय था जब शिव और पार्वती की शादी नही हुई थी। शिवपुराण के मुताबिक हिमालय की पुत्री पार्वती भगवान शिव से शादी करने के लिए कठोर तप कर रहीं थीं। लेकिन इस दौरान भगवान शिव भी तपस्या में लीन थे। देवताओं के राजा इंद्र का शिव-पार्वती विवाह में स्वार्थ छिपा था क्योंकि ताड़कासुर का वध शिव-पार्वती के पुत्र द्वारा होना था। इसलिए सभी देवता शिव की तपस्या को भंग करने के लिए कोशिश करने लगे। इसी लिए शिवजी की तपस्या भंग करने के इंद्र आदि देवताओं ने कामदेव क भेजा। कामदेव ने भगवान शिव की समाधि को भंग करने के लिए उनपर पुष्प’ बाण से प्रहार किया था। उस बाण के कारण शिव के मन में प्रेम और काम का संचार होने लगा और उनकी तपस्या भंग हो गई। इस पर शिवजी ने क्रोध में आकर तीसरा नेत्र खोल दिया और कामदेव को भस्म कर दिया।

इसके बाद देवताओं ने शिवजी को पार्वती से विवाह के लिए मना लिया। लेकिन कामदेव की पत्नी अपने पति की मृत्यु से बेहद दुखी थी और उन्होंने पति को पुनर्जीवन देने के लिए शिव की तपस्या की। उनकी तपस्या से खुश होकर कामदेव को पुनर्जीवन दे दिया। शिव के पार्वती से विवाह के लिए मानने पर देवताओं ने इस दिन को उत्सव की तरह मनाया। इस दिन फाल्गुन पूर्णिमा थी इसलिए कामदेव वाले इस प्रसंग के आधार पर काम की भावना को प्रतीकात्मक रूप से जला कर सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है।

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