National : मध्य प्रदेश में भोजशाला का होगा ASI सर्वे, जानिए इसका इतिहास, क्यों हो रहा विवाद? - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

मध्य प्रदेश में भोजशाला का होगा ASI सर्वे, जानिए इसका इतिहास, क्यों हो रहा विवाद?

Renu Upreti
3 Min Read
History and controversy of Bhojshala in Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला विवाद में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने ज्ञानवापी की तरह की इसका ASI सर्वे कराने का आदेश दिया है। हिंदू पक्ष की ओर से इसका पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की मांग की गई थी, जिस पर इंदौर हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। हिंदू पक्ष ने यहां होने वाली नमाज पर भी रोक लगाने की मांग की थी।

भोजशाला को हिंदू पक्ष वाग्देली यानी मां सरस्वती का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे कमान मौला मस्जिद बताता है। इसे लेकर दोनों पक्षों में लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई द्वारा संरक्षित स्मारक है, जिसका नाम राजा भोज पर रखा गया था।

क्या है भोजशाला का इतिहास?

एक हजार साल पहले धार में परमार वंश का शासन था। यहां पर 1000 से 1055 ईस्वी तक राजा भोज ने शासन किया। राजा भोज सरस्वती देवी के अनन्य भक्त थे। उन्होनें 1034 ईस्वी में यहां पर एक  महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे बाद में भोजशाला के नाम से जाना जाने लगा। इसलिए इसे हिंदू पक्ष देवी सरस्वती का मंदिर मानता है। हिंदू संगठन ऐसा दावा करता है कि 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला को धवस्त कर दिया था। बाद में 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में मस्जिद बनवा दी। 1514 ईस्वी में महमूद शाह खिलजी ने दूसरे हिस्से में भी मस्जिद बनवा दी। बताया जाता है कि 1875 में यहां पर खुदाई की गई थी। इस खुदाई में सरस्वती देवी की एक प्रतिमा निकली। इस प्रतिमा को मेजर किनकेड नाम का अंग्रेज लंदन ले गया। फिलहाल ये प्रतिमा लंदन के संग्रहालय में है। हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में इस प्रतिमा को लंदन से वापस लाए जाने की मांग भी की गई है।

आखिर क्या है विवाद?

हिंदू संगठन भोजशाला को राजा भोज कालीन इमारत बताते हुए इसे सरस्वती देवी का मंदिर बनाते हैं। हिंदूओं का तर्क है कि राजवंश काल में यहां कुछ समय के लिए मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई थी। दूसरी ओर से, मुस्लिम समाज का कहना है कि वो सालों से यहा नमाज पढ़ते आ रहे हैं। मुस्लिम इसे भोजशाला-कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं।

राम मंदिर की तरह बनेगा सरस्वती मंदिर

मामले के याचिकाकर्ता अशोक जैन ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि जिस प्रकार से अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर बना ठीक उसी प्रकार से यहां मां सरस्वती का मंदिर बनेगा। हमारी मांग ये है कि वहां मां मां सरस्वती का पूजन करने दिया जाए। मां सरस्वती का मंदिर 1050 ई में राजा भोज ने बनवाया था। बाद में इसे आक्रमणकारियों ने तोड़ दिया था।

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