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पीसीसीएफ सिंघल को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, दिए ये निर्देश, जानिए क्या है पूरा मामला

Yogita Bisht
3 Min Read
HIGH COURT

नैनीतील हाईकोर्ट ने पीसीसीएफ सिंघल को फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने उन्हें इस पूरे मामले को लेकर शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

हाईकोर्ट ने पीसीसीएफ सिंघल को लगाई फटकार

आज नैनीताल हाईकोर्ट में वन क्षेत्राधिकारी संघ उत्तराखंड की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान कोर्ट में पीसीसीएफ विनोद सिंघल व्यक्तिगत रूप से पेश हुए। इस मामले में सुनवाई मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ में हुई।

15 जून को होगी मामले की अगली सुनवाई

सुनवाई के दौरान पीसीसीएफ सिंघल को हाईकोर्ट ने पूर्व के आदेशों का पालन न होने पर फटकार लगाई। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने पीसीसीएफ को इस पूरे मामले में उन्हें शपथपत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। इस पूरे मामले में अगली सुनवाई 15 जून को होगी।

ये है पूरा मामला

दिसंबर में वन क्षेत्राधिकारी संघ की ओर से हईकोर्ट में याचिका दाखिल किया गया था। इस याचिका में कहा गया था कि डिप्टी रेंजर को रेंजर का चार्ज दिया जा रहा है और रेंज अधिकारियों को रेंजर चार्ज से वंचित किया जा रहा है।

इस मामले में हाईकोर्ट ने डिप्टी रेंजर को ये चार्ज न देने और उन्हें ये चार्ज देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे ।लेकिन दोषी अधिकारियों के खिलाफ इतना समय बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।

पीसीसीएफ को आज दोबारा किया गया कोर्ट में तलब

पीसीसीएफ विनोद सिंघल इस से पहले 23 मार्च को भी कोर्ट में पेश हुए थे। जिसके बाद आज फिर से उन्हें कोर्ट तलब किया गया था। आज की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उनसे इस बारे में जवाब मांगा कि उनकी ओर से क्या कार्रवाई की गई है।

जिस पर पीसीसीएफ ने जवाब दिया है कि 2017 में वो पीसीसीएफ के पद पर नहीं थे। उन्हें पीसीसीएफ का चार्ज 2022 में ही दिया गया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 23 मार्च के कोर्ट के ऑर्डर के बाद उन्होंने ऐसे अफसरों को चिन्हित करने के लिए एक समिति बनाई है।

पीसीसीएफ ने कोर्ट से मांगा दो सप्ताह का समय

जिसके बाद कोर्ट ने उनसे पूछा कि वो समिति की रिपोर्ट को कोर्ट में दाखिल करने की एक स्पष्ट समय सीमा बताएं। जिस पर प्रमुख वन संरक्षक विनोद सिंघल ने कोर्ट से दो सप्ताह का समय मांगा है।

जिस पर कोर्ट ने कहा है कि अगर तय समय में उनके द्वारा आदेशों का अनुपालन नहीं किया जाता तो कोर्ट में उन्हें दोबारा व्यक्तिगत सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा। याचिकाकर्ता को भी अगली तिथि तक प्रति शपथपत्र पेश करने के लिए आदेश किया गया 

 

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योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।