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चारधाम यात्रा को लेकर हाईकोर्ट सख्त, कहा- अब हमें मूर्ख न बनाएं, स्थिगित करें या तिथि आगे बढ़ाएं

Reporter Khabar Uttarakhand
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नैनीताल : नैनीताल हाईकोर्ट चारधाम यात्रा शुरु करने के पक्ष में नहीं है। जी हां बता दें कि हाईकोर्ट ने पहले ही चारधाम यात्रा शुुरु ना करने का फैसला सुनाया था और साथ ही चिकित्सीय असुविधाओं और अधूरी तैयारियों को लेकर सरकार को कोसा था। हाईकोर्ट ने सरकार को चारधाम यात्रा शुरु करने के फैसले को जल्दबाजी भरा बताया।

आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से कहा कि या तो चारधाम यात्रा स्थगित करें या यात्रा की तिथि आगे बढ़ाएं। इसको कैबिनेट के समक्ष रखकर निर्णय लें और अपर सचिव पर्यटन के साथ 28 जून को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर बताएं कि कैबिनेट ने क्या निर्णय लिया। इसके बाद कोर्ट ने कोविड की तीसरी लहर से संबंधित मामलों की सुनवाई सात जुलाई को नियत कर दी। कोरोना की तीसरी लहर और तैयारियां पूरी न करने पर भी सरकार को कोसा था। कोर्ट ने यह तक कह दिया था कि आपकी तैयारी क्या हैं। क्या जब बच्चे मरने लगेंगे तब सरकार तैयारी करेगी। साथ ही एंबुलेंस, अस्पतालों की व्यवस्था आदि पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने सरकार के एंबुलेंस सहित अन्य दावों को भी झूठ करार दिया। कहा कि अब हमें मूर्ख न बनाएं। मत बताइये कि उत्तराखंड में रामराज्य है और हम स्वर्ग में रहते हैं। आप रोडवेज के ड्राइवर्स-कंडक्टर्स को पांच महीने से सेलरी नहीं दे पा रहे हैं। आप पर्याप्त एंबुलेंस की बात करते हैं, लेकिन खबरें आती हैं कि पहाड़ों में गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस नहीं मिलती है और पालकी से ले जाना पड़ता है। हमें मूर्ख बनाना बंद करिए हकीकत हमें पता है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, सच्चिदानंद डबराल, अनु पंत की जनहित यचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई। इस दौरान मुख्य सचिव ओमप्रकाश, वित्त व स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी व पर्यटन सचिव आशीष चौहान पेश हुए। सरकार की ओर से मामले में 700 पेज का शपथपत्र पेश किया गया। कोर्ट ने शपथपत्र को भ्रामक करार देते हुए सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कहा कि प्रदेश में कोविड से आधी मौतें सरकार की अधूरी तैयारियों की वजह से हुईं। सरकार ने कोविड नियमों का पालन नहीं किया। गंगा दशहरा पर हजारों लोगों ने हरकी पैड़ी में स्नान किया। सरकार उस भीड़ में नदारद रही।

कोर्ट ने कोविड काल में चिकित्सा सेवाओं की बदहाली व कोविड की तीसरी लहर की तैयारियों के मामले में सुनवाई के बाद पूछा कि प्रदेश में बच्चों के कितने वार्ड, कितने अस्पतालों में हैं, उन पर कितने पीडियाट्रिक बेड हैं। ग्रामस्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पूरे प्रदेश में कितने ऑक्सीजन कंसट्रेटर व सिलिंडर की सुविधा है, कितनों में नहीं। रामनगर में कोर्ट के आदेश पर छोटा निजी कोविड अस्पताल बनाया गया था, लेकिन तीसरी लहर के लिए रामनगर के लिए क्या तैयारियां हैं। बड़े अस्पताल कितने तैयार हैं।

कोर्ट ने पौड़ी में लवाली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं की बहाली व पानी कनेक्शन के निर्देश भी दिए। कहा कि तीसरी लहर में यदि डाक्टरों की कमी पड़ती है तो सुरक्षा बल, सेना के चिकित्सकों की सेवाएं लेने के लिए सरकार अभी से तैयारी करे। स्वास्थ्य सचिव अगले शपथ पत्र में बताएंगे कि प्रदेश में कितने गांव सड़क से जुड़े नहीं हैं। इन गांवों का निकटस्थ रोड हेड कितनी दूर है। स्वास्थ्य विभाग व 108 सेवा के पास कितनी एंबुलेंस हैं। सभी कहां-कहां तैनात हैं। कितनी एंबुलेंस संचालन व कितनी बेकार पड़ी हैं। कोर्ट ने यह भी पूछा कि कोविड की तीसरी लहर के लिए बाल रोग विशेषज्ञों की जो हाईपावर कमेटी बनाई गई थी उसकी संस्तुतियों के अनुपालन की स्थिति क्या है?

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