Dehradun : पहली ही बारिश में 'डूब' गई स्मार्ट सिटी देहरादून, नगर निगम की 'व्यवस्था' नालों में बही - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

पहली ही बारिश में ‘डूब’ गई स्मार्ट सिटी देहरादून, नगर निगम की ‘व्यवस्था’ नालों में बही

Reporter Khabar Uttarakhand
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मॉनसून की शुरुआती बारिश में ही स्मार्ट सिटी देहरादून सीवर और नालों के पानी में डूब गई है। हालात ये हैं कि नगर निगम जिन नालों की सफाई के लिए पूरा साल तैयारी करता है वही व्यवस्था प्री मॉनसून की बारिश में इन्ही नालों में बह गई। राजधानी की सड़कों पर सीवर बह रहा है और आम लोग इसी सीवर के पानी से गुजरने को मजबूर हैं।

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ऐसी स्मार्ट सिटी की पूछिए मत

उत्तराखंड में राजधानी देहरादून के एक हिस्से को स्मार्ट सिटी बनाने का काम पिछले कई सालों से चल रहा है। ये स्मार्ट सिटी ऐसी बन रही है कि पूछिए मत। गहरे नाले, वायर डक्ट के लिए सड़कें खोद दी गईं। इन कामों की डेडलाइन क्या है किसी को नहीं पता। हालात ये हैं कि बुधवार को डीएम सोनिका और राजपुर रोड के विधायक खजान दास ने स्मार्ट सिटी का कामकाज कर रहे ठेकेदारों को चेतावनी दी है कि उनपर पेनाल्टी लगा दी जाएगी। लेकिन इस सबके बीच सवाल यही है कि पेनाल्टी लगाने से आम लोगों को हो रही दिक्कतें कैसे दूर होंगी?

नाले में गंदगी, सड़क पर पानी

देहरादून में गुरुवार सुबह से हो रही बारिश ने एस्ले हाल, घंटाघर, पंचायती मंदिर प्रिंस चौक, सहारनपुर चौक, माजरा, आईएसबीटी तक नगर निगम की पोल खोल कर रख दी। अधिकतर इलाकों में नाले का पानी सड़क पर आ गया है। ऐसा तभी हो सकता है जब नालों की सफाई ठीक से न हुई हो। सुबह दफ्तरों के लिए निकले लोगों को इसी गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ा। कई स्थानों पर स्कूटी सवार गिरते हुए निकले।

कौन लेगा जिम्मेदारी?

देहरादून की इस बदहाली के लिए किसे जिम्मेदार माना जाए ये बड़ा सवाल है। नगर निगम के दावों का सच सबके सामने है। मेयर सुनील उनियाल गामा भले ही कहते रहें कि बारिश से पहले नालों की सफाई कराई गई है लेकिन ऐसा लगता है कि शहर के कुछ खास वीआईपी इलाकों को छोड़ दीजिए तो कोई ऐसा इलाका नहीं बचेगा जहां आपको ये सफाई दिखाई दे।

फिर स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आ रही है। बड़े अधिकारी हर व्यवस्था बंद कमरों में बैठ कर ही कर लेते हैं। सड़क पर उतर कर आम लोगों को हो रही व्यवाहारिक दिक्कतों के बारे में जानने के लिए अधिकारी सड़क पर निकलने के लिए तैयार नहीं हैं।

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