उत्तर प्रदेश के हाथरस में फुलरई गांव के सत्संग में मची भगदड़ के बाद 120 लोगों की मौत हो गई है। वहीं सैकड़ों लोग घायल बताए जा रहे हैं। ये सत्संग का आयोजन भोले बाबा उर्फ नारायण हरि संगठन के किया था। मरने वालों में सात बच्चे और 100 से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं। दर्दनाक हादसा होने का बाद धार्मिक स्थल सत्संग शमशान घाट बन गया है। यहां अब लाशों का ढेर लगा हुआ है।
कीचड़युक्त खेत में गिरकर दबते गए लोग
बताया जा रहा है कि सड़क किनारे खेत में पानी भरा था। कीचड़ से युक्त इस पानी में भागने के चक्कर में भक्त इसमें फंसते चले गए। और भीड़ में दबते हुए मुंह- नाक तक कीचड़ भरने से दम घुटने से लोगों की मौत हो गई।
जानकारी सामने आई है कि सत्संग में भोले बाबा के चरण धूल लेने के लिए एक साथ लोगों भागने लगे तभी स्वंयसेवकों ने लाठी डंडो से भीड़ को रोकने की कोशिश की जिस कारण कई महिलाएं गिर गई और भीड़ उनके ऊपर से गुजरती चली गई। वहीं इस भगदड़ के कारण काफी संख्या में लोग एनएच के सहारे कीचड़युक्त खेत में गिर गए और उनके ऊपर से भी भीड़ गुजरती चली गई।
गर्मी के कारण कई महिलाएं हुई बेहोश
बताया जा रहा है कि सत्संग में एक लाख भक्तों के आने का अनुमान था। जैसे ही दोपहर दो बजे सत्संग समाप्त हुआ और आरती हुई, वैसे ही भीड़ गर्मी और उमस से बचने के लिए तेजी से जीटी रोड की तरफ दौड़ी। लेकिन भीड़ को जीटी रोड पर सेवादारों ने रोक लिया। उनका कहना था कि बाबा की कारों का काफिला निकलने के बाद भीड़ को आगे बढ़ने दिया जाएगा। लगभग 30 मिनट में बाबा का काफिला निकला जिसके बाद भीड़ को आगे बढ़ने का मौका मिला। लेकिन इस 30 मिनट में काफी संख्या में महिलाएं गर्मी के कारण बेहोश हुई। कहा जा रहा है कि भीड़ इतनी ज्यादा थी कि पैदल चलता तक दूभर हो गया था। बाबा के सेवादार लगातार बेहोश हुई महिलाओं के ऊपर पानी के छींटे मार रहे थे लेकिन इतनी संख्या में महिलाओं के बेहोशी से होश में लाने के लिए सेवादारों के हाथ-पैर भी फूल गए।
अस्पताल में भी नहीं थी उचित व्यवस्था
वहीं जिन मरीजों को सिकंदराराऊ स्थित ट्रामा सेंटर ले जाया जा रहा था वहां न तो बिजली थी और न ही चिकित्सक स्टॉफ। ऑक्सीजन तक नहीं थी। करहाते हुए कई घायलों ने उपचार न मिलने से भी दम तोड़ दिया।