Dehradun : हरदा ने लपका मुद्दा, कर्मकार बोर्ड का घटनाक्रम क्या सरकार को शर्मसार नहीं करता? पर्दा डालने का काम किया - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

हरदा ने लपका मुद्दा, कर्मकार बोर्ड का घटनाक्रम क्या सरकार को शर्मसार नहीं करता? पर्दा डालने का काम किया

Reporter Khabar Uttarakhand
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harish rawat-congress-

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देहरादून : सरकार ने बीते दिन कर्मकार बोर्ड के अध्यक्ष पद से शमशेर सिंह सत्याल की छुट्टी कर दी है जिसे हरक सिंह रावत की जीत और त्रिवेंद्र रावत की हार माना जा रहा है। क्योंकि त्रिवेंद्र रावत ने अपने कार्यकाल के दौरान हरक सिंह रावत को बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाते हुए शमशेर को अध्यक्ष बनाया था तब से हरक सिंह और त्रिवेंद्र-सत्याल के बीच तना तनी चल रही थी। त्रिवेंद्र रावत और हरक एक दूसरे पर वार करने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे। सत्याल साइकिल घोटाले समेत कई घोटाले के उजागर होने पर चर्चाओं में आए। वहीं अब हरक सिंह ने राहत की सांस ली लेकिन अब हरीश रावत सरकार पर हमला वर हो गए हैं। हरीश रावत ने सोशल मीडिया के जरिए सरकार पर कर्मकार बोर्ड के मुद्दे को लेकर वार किया।

हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर लिखा कि सत्तारूढ़ दल के रूप में कर्मकार बोर्ड का घटनाक्रम क्या भाजपा सरकार को शर्मसार नहीं करता है? कर्मकार बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाए गये श्री सत्याल ने कई गंभीर आरोप कर्मकार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष, बोर्ड की सचिव और राज्य सरकार के श्रम मंत्री के ऊपर लगाए। कर्मकार बोर्ड के कोष में जमा एक-एक पैसा मजदूरों व श्रमिकों का है। कांग्रेस के शासनकाल में एक कानून बनाकर सैस के माध्यम से भवन निर्माण, पुल और दूसरे कार्यों में लगे हुये श्रमिकों की भलाई के लिए कोष एकत्र किये जाने का प्राविधान बनाया गया।

पूर्व सीएम हरीश रावत ने आगे कहा कि हमारे राज्य में जहां केवल एक पंजीकृत व्यक्ति था श्रमिक के रूप में मेरी सरकार ने अभियान चलाकर 2 लाख से ज्यादा श्रमिकों को पंजीकृत किया और लगभग 500 करोड़ रुपया इस कोष में एकत्र किया। जिसमें से 200 करोड़ रूपया तत्कालीन बोर्ड ने विभिन्न योजनाओं में खर्च किया, जिनमें श्रमिकों को कई तरीके की सुविधाएं, भवन व मकान निर्माण के लिए, साइकिल आदि खरीदने के लिए, चिकित्सा व बच्चों के विवाह आदि के लिए अनुदान की राशि के रूप में दिये गये। एक बड़ी राशि इस कोष में अवशेष थी, एक बार जब कोष इकट्ठा करने का विधान बन गया तो लगातार कोष में वृद्धि भी होती गई और यह खुला सत्य है जो समाचार पत्रों में भी छपा है कि घटिया साइकिलें, घटिया सामग्री खरीदी गई, श्रमिकों तक वो चीजें पहुंची नहीं आदि-आदि और ये सारी चीजें जो समाचार पत्र में छपी उससे और गंभीरतर आरोप बोर्ड के अध्यक्ष श्री सत्याल ने लगाये हैं।

पूर्व सीएम हरीश रावत ने आगे कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भी उस पर जांच आदि की बात कही। अब एक घटनाक्रम के तहत श्री सत्याल को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है तो क्या कर्मकार बोर्ड  में कोई घोटाले की यहीं पर इतिश्री मान ली जाए? क्या श्री सत्याल के आरोप गलत सिद्ध हो गए हैं? यदि ऐसा कुछ नहीं हुआ है तो भाजपा की वर्तमान सरकार को या तो उन आरोपों की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से एसआईटी बनाकर या विधानसभा की समिति बनाकर करनी चाहिये और यदि ऐसा करना वो उचित नहीं समझते हैं तो श्री सत्याल पर अपनी पार्टी के ही मंत्री को झूठे आरोप लगाकर बदनाम करने के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिये।

हरीश रावत ने वार करते हुए कहा कि यदि इन दोनों में से कोई कार्यवाही नहीं हो रही है तो इसका अर्थ है कि कर्मकार बोर्ड में जो घटित हुआ, उस पर केंद्र सरकार की सह से राज्य सरकार पर्दा डालने का काम कर रही है और मजदूरों का हक मारकर कमीशन डकारने वालों को राज्य सरकार संरक्षण दे रही है।

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