Dehradun : देहरादून में बिना अनुमति बन रही थी सरकारी बिल्डिंग!, सरकार को नहीं लगी भनक - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

देहरादून में बिना अनुमति बन रही थी सरकारी बिल्डिंग!, सरकार को नहीं लगी भनक

Sakshi Chhamalwan
5 Min Read
विवादों में घिरी स्मार्ट सिटी की ग्रीन बिल्डिंग

देहरादून में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बनाई जा रही बहुप्रतीक्षित ग्रीन बिल्डिंग इन दिनों विवादों में घिरी हुई है. 180 करोड़ की लागत से बन रही इस इमारत का निर्माण पिछले ढाई साल से जारी है, लेकिन अब तक केवल 25 फीसदी काम ही पूरा हो पाया है. काम की धीमी रफ्तार से न सिर्फ अधिकारी नाराज हैं, बल्कि जिलाधिकारी ने भी नाराजगी जताते हुए ठेका कंपनी को नोटिस जारी किया है.

विवादों में घिरी स्मार्ट सिटी की ग्रीन बिल्डिंग

ग्रीन बिल्डिंग राजधानी की पहली ऐसी इमारत होगी, जहां 75 सरकारी विभागों के दफ्तर एक ही छत के नीचे होंगे और 900 कारों के लिए पार्किंग की व्यवस्था होगी. कार्यदायी संस्था केंद्रीय लोक निर्माण विभागम के तहत इसका निर्माण चल रहा है. बता दें इस बिल्डिंग को अक्टूबर 2025 तक पूरा किया जाना था, लेकिन अब यह मुमकिन नजर नहीं आ रहा. बिल्डिंग के निर्माण में सिर्फ देरी ही नहीं, बल्कि निर्माण के दौरान नियमों का उल्लंघन भी सामने आया है.

मनमाने ढंग से कर दी डबल बेसमेंट की खुदाई

बिल्डिंग में केवल सिंगल बेसमेंट की अनुमति थी, लेकिन ठेका कंपनी ने मनमाने ढंग से डबल बेसमेंट की खुदाई कर दी. इस पर खनन विभाग ने कार्रवाई करते हुए कंपनी पर जुर्माना लगाया है. अब इस प्रोजेक्ट को लेकर एक नया विवाद और सामने आया है. निर्माण साइट पर आरएमसी प्लांट लगाए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.

ठेका कंपनी को स्पष्ट निर्देश थे कि साइट पर न तो हॉट मिक्सर प्लांट और न ही आरएमसी प्लांट लगाया जाएगा. लेकिन पहले कंपनी ने प्लांट लगाया और प्रशासन ने उसे बंद भी करा दिया. हैरानी की बात यह है कि अब उसी प्लांट को दोबारा लगाने की अनुमति मांगी जा रही है.

जिला खनन अधिकारी नवीन सिंह का कहना है कि डबल बेसमेंट मामले में जुर्माना लगाया गया है. आरएमसी प्लांट की अनुमति को लेकर रिपोर्ट भेज दी गई है, अब आगे की कार्रवाई प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को करनी है.

बिना स्वीकृत नक्शे के चल रहा निर्माण कार्य

बताया जा रहा है प्रोजेक्ट EPC मॉडल पर आधारित है, जिसमें सभी तरह की अनुमति लेना ठेकेदार की जिम्मेदारी होती है. लेकिन एमडीडीए से अब तक नक्शे की स्वीकृति नहीं ली गई है. पिछले साल एमडीडीए ने कंपनी को 3.5 करोड़ रुपये का डिमांड नोट भी जारी किया था, जो आज तक जमा नहीं हुआ है. इसका मतलब यह है कि बिना स्वीकृत नक्शे के ही निर्माण कार्य चल रहा है.

काश्यपि इंफ्रा टेक प्राइवेट लिमिटेड के एसोसिएट डायरेक्टर अनुराग यादव ने खबर उत्तराखंड से बातचीत में कहा कि नक्शे की स्वीकृति के लिए हमने संबंधित फाइल शासन को भेज दी है, जो फिलहाल पेंडिंग में है. यह कोई कॉमर्शियल बिल्डिंग नहीं, बल्कि सरकारी भवन है, इसलिए इसमें कुछ प्रक्रियाएं अलग होती हैं. हम जल्द ही निर्धारित फीस जमा कर देंगे और हमें पूरी उम्मीद है कि मंजूरी जल्द मिल जाएगी.

स्थानीय लोगों ने किया विरोध

निर्माण कार्य को लेकर स्थानीय लोग और पार्षद भी नाराज हैं. गंगा विहार कॉलोनी के लोग आरएमसी प्लांट को लेकर खुलकर विरोध कर रहे हैं. पार्षद रोहन चंदेल का कहना है कि बेसमेंट की खुदाई से आसपास के घरों की नींव कमजोर हो सकती है. वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि हाल ही में दीवार गिरने की घटना भी हो चुकी है. गनीमत रही कि कोई जान-माल की हानि नहीं हुई. बता दें बीते 30 मई को आरएमसी प्लांट के खिलाफ स्थानीय लोगों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय के बाहर प्रदर्शन भी किया था. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नगर निगम क्षेत्र में आरएमसी प्लांट की अनुमति नहीं मिल सकती, लेकिन फिर भी ठेका कंपनी यह प्लांट चला रही है.

हिमांशु चौहान की रिपोर्ट

Share This Article
Sakshi Chhamalwan उत्तराखंड में डिजिटल मीडिया से जुड़ीं युवा पत्रकार हैं। साक्षी टीवी मीडिया का भी अनुभव रखती हैं। मौजूदा वक्त में साक्षी खबरउत्तराखंड.कॉम के साथ जुड़ी हैं। साक्षी उत्तराखंड की राजनीतिक हलचल के साथ साथ, देश, दुनिया, और धर्म जैसी बीट पर काम करती हैं।