Big News : उत्तराखंड की ये शर्मनाक तस्वीर सरकार को दिखी की नहीं, मोमबत्ती की लौ में बच्चे के लिए दूध गर्म करती मां - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

उत्तराखंड की ये शर्मनाक तस्वीर सरकार को दिखी की नहीं, मोमबत्ती की लौ में बच्चे के लिए दूध गर्म करती मां

Reporter Khabar Uttarakhand
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# Uttarakhand Assembly Elections 2022

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पिथौरागढ़ जिला महिला अस्पताल में प्रसूता और तीमारदार मोमबत्ती पर दूध गर्म कर नवजात को पिलाने के लिए मजबूर है. ये तस्वीर उत्तराखंड पर कलंक है और बेहद शर्मनाक है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं का दावा करने वाली सरकार उत्तराखंड में सत्ता में रही लेकिन बेटियों और महिलाओं को सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाई जिसके वो हकदार थीं। सरकार को ये तस्वीर देखनी चाहिए और शर्म करना चाहिए वहां के स्थानीय विधायक और अधिकारियों को।

बता दें कि पिथौरागढ़ सीमांत जिले सबसे बड़े महिला अस्पताल में भर्ती प्रसूताएं मोमबत्ती की लौ पर दूध गर्म कर नवजात बच्चों को पिलाने के लिए मजबूर हैं। इसके बाद भी आज तक शासन-प्रशासन को सीमांत जिले की महिलाओं का दर्द नहीं दिखा। पहाड़ के लोगों का कहना है कि नेता सिर्फ वोट के समय आते हैं और जब जीत जाते हैं तो वापस मुड़कर उनको नहीं देखते। पहाड़ में जनता का कहना है कि प्रत्येक वार्ड में नवजात बच्चों के लिए दूध गर्म करने के लिए कम से कम एक हीटर की व्यवस्था तो होनी चाहिए, जिससे वार्ड में भर्ती गर्भवती महिलाओं और तीमारदारों को राहत मिल सके।

पिथौरागढ़ जिला महिला अस्पताल में भारत ही नहीं बल्कि नेपाल से बड़ी संख्या में रोगी आते हैं। प्रतिदिन करीब चार से पांच सामान्य और दो से तीन सिजेरियन प्रसव होते हैं। सामान्य प्रसव वाली महिलाओं को तो एक या दो दिन में घर भेज दिया जाता है लेकिन सिजेरियन प्रसव वाली महिलाओं को एक सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती किया जाता है। ऐसे में सिजेरियन महिला के भर्ती रहने के दौरान नवजात बच्चे की देखरेख तीमारदार करते हैं।

पिथौरागढ़ पौरागढ़ महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड बंद होने से महिलाएं परेशान है। पहले महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए आना पड़ता है। यहां आपातकाल में पांच से सात महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए जिला अस्पताल भेजा जाता है। इसके बाद यहां महिलाओं के अल्ट्रासाउंड होते हैं। महिलाओं को समय पहले महिला जिला अस्पताल में जाने बोला है जाता है। अल्ट्रासाउंट मशीन बंद होने से महिलाओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

हैं। ऐसे शिशुओं की तीमारदार चम्मच पारई के फाहे से गाय का दूध पिलाते हैं। जाड़ों में दूध ठंडा हो जाता है। जिला महिला अस्पताल के किसी भी वार्ड में नवजात बच्चों के लिए दूध गर्म करने की व्यवस्था नहीं है। महिलाएं मोमबत्तों के सहारे दूध गर्म कर बच्चों को दूध पिलाती है। ऐसे में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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