National : बिहार के पूर्व सीएम Karpoori Thakur को मिलेगा भारत रत्न, जानिए उनके वो फैसले जो मिसाल बने - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

बिहार के पूर्व सीएम Karpoori Thakur को मिलेगा भारत रत्न, जानिए उनके वो फैसले जो मिसाल बने

Renu Upreti
4 Min Read
Karpoori Thakur
Karpoori Thakur

केंद्र सरकार ने बिहार के पूर्व सीएम (Karpoori Thakur) कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने का फैसला किया है। राष्ट्रपति भवन से बयान जारी कर ये जानकारी दी गई है। बयान में कहा गया है कि भारत सरकार को बताते हुए गर्व हो रहा है कि देश का सर्वोच्च नागिरक सम्मान दिवंगत कर्पूरी ठाकुर को दिया जा रहा है। वह भारतीय राजनीति में सामाजिक न्याय के पुरोधा और एक प्रेरणादायक शख्सियत थे। यह सम्मान समाज के वंचित वर्ग क उत्थान में कर्पूरी ठाकुर के जीवनभर के योगदान और सामाजिक न्याय के प्रति उनके अथक प्रयासों को श्रद्धांजलि है। बता दें कि जनता दल यूनाइटेड ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की मांग की थी। इस ऐलान के बाद जेडीयू ने मोदी सरकार का आभार जताया है।


Karpuri Thakur
Karpoori Thakur

बेटे ने जताई खुशी

वहीं इस खुशी को जाहिर करते हुए पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर के बेटे ने कहा कि हमें 36 साल की तपस्या का फल मिला है। मैं अपने परिवार और बिहार के 15 करोड़ लोगों की तरफ से सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं।


Karpuri Thakur
Karpoori Thakur

कौन थे Karpoori Thakur?

कर्पूरी ठाकुर बिहार में समस्तीपुर जिले के पितौझिया गांव में जन्में थे। पटना से 1940 में उन्होंने मैट्रिक परीक्षा पास की और स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे। कर्पूरी ठाकुर ने आचार्य नरेंद्र देव के साथ चलना पसंद किया। इसके बाद उन्होनें समाजवाद का रास्ता चुना और 1942 में गांधी के असहयोग आंदलोन में हिस्सा लिया। इसके चलते उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। साल 1945 में जेल से बाहर आने के बाद कर्पूरी ठाकुर धीरे-धीरे समाजवादी आंदोलन का चेहरा बन गए। जिसका मकसद अंग्रेजों से आजादी के साथ-साथ समाज के भीतर पनपे जातीय व सामाजिक भेदभाव को दूर करने का था ताकि दलित, पिछड़े और वंचित को भी एक सम्मान की जिंदगी जीने का हक मिल सके।


Karpuri Thakur
Karpoori Thakur

1952 में पहली बार बने विधायक

बात अगर कर्पूरी ठाकुर के राजनीतिक सफर की करें तो 1952 में वो पहली बार ताजपुर विधानसभा क्षेत्र से सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर जीतकर विधायक बने थे। उसके बाद जिस दौरान महामाया प्रसाद सिन्हा सीएम बने तो उस समय कर्पूरी ठाकुर उपमुख्यमंत्री बने और उन्हें शिक्षा मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था। कर्पूरी ठाकुर ने शिक्षा मंत्री रहते हुए छात्रों की फीस खत्म की और अंग्रेजी की अनिवार्यता भी खत्म की थी। कुछ समय बाद बिहार में कर्पूरी ठाकुर को मुख्यमंत्री पद मिला। इस दौरान वो छह महिने तक सत्ता में रहें।


Karpuri Thakur
Karpoori Thakur

वो फैसले जो मिसाल बने

  • पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया।
  • पढ़ाई में अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म किया।
  • मैट्रिक तक पढ़ाई को मुफ्त किया।
  • बिहार में उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का दर्जी दिया।
  • अगड़ों को भी 3 प्रतिशत का दर्जा दिया।
  • गैर लाभकारी जमीन पर मालगुजारी टैक्स को बंद किया।
  • मुख्यमंत्री बनते ही उन्होनें फोर्थक्लास वर्कर पर लिफ्ट का यूज करने पर रोक हटाई।
  • आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों और महिलाओं लिए आरक्षण का दिया।
Share This Article