Assembly Elections : उत्तराखंड 2022 की बिसात : इस सीट पर बराबरी का रहा मुकाबला, आप और निर्दलीय बिगाड़ सकते हैं गणित! - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

उत्तराखंड 2022 की बिसात : इस सीट पर बराबरी का रहा मुकाबला, आप और निर्दलीय बिगाड़ सकते हैं गणित!

Reporter Khabar Uttarakhand
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# Uttarakhand Assembly Elections 2022

# Uttarakhand Assembly Elections 2022

अल्मोड़ा : 2022 की बिसात में उम्मीदवार अपनी-अपनी किलेबंदी तो कर ही रहे हैं। साथ ही दूसरों के किलों में सेंधमारी का भी प्रयास कर रहे हैं। जीत हासिल करने के लिए लगातार रणनीतियां बनाई और बदली जा रही हैं। लक्ष्य हर हाल में जीतने का है। अल्मोड़ा विधानसभा सीट पर इस बार सीधा मुकाबला भले ही भाजपा-कांग्रेस में नजर आ रहा हो, लेकिन आप और निर्दलीय भी मजबूती से ताल ठोक रहे हैं।

अल्मोड़ा से भाजपा के कैलाश शर्मा, कांग्रेस से मनोज तिवारी, आप के अमित जोशी और निर्दलीय विनय किरौला सहित कुल 9 प्रत्याशी मैदान में है। सीट का इतिहास देखें तो अब तक दो बार भाजपा और दो बार कांग्रेस को जीत मिली है। इस बार आम आदमी पार्टी के अमित जोशी और निर्दलीय विनय किरौला पूरी ताकत से मैदान में हैं।

2017 में सीधा मुकाबला भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशी के बीच रहा। भाजपा के रघुनाथ चौहान को 26464 और कांग्रेस के मनोज तिवारी को 21085 वोट मिले थे। चौहान ने जीत दर्ज की लेकिन इस बार पार्टी ने शर्मा पर दांव लगाया है। अब देखना होगा कि कौन किस पर भारी पड़ता है। सभी को 10 मार्च का इंतजार है, लेकिन उससे पहले भाजपा-कांग्रेस और निर्दलीय पूरी ताकत से चुनाव समर में अपने-अपने दांव चल रहे हैं।

अल्मोड़ा विधानसभा सीट के लिए उत्तराखंड राज्य गठन के बाद साल 2002 में हुए पहले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कैलाश शर्मा विधायक निर्वाचित हुए थे। 2007 और 2012 में ये सीट कांग्रेस के पास रही। 2007 में कांग्रेस के मनोज तिवारी इस सीट से पहली दफे विधानसभा पहुंचे थे। मनोज तिवारी ने 2012 के चुनाव में भी इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा था।

अल्मोड़ा विधानसभा क्षेत्र के तहत नगरीय के साथ ही ग्रामीण इलाके भी आते हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 90 हजार मतदाता हैं। जातिगत समीकरणों की बात करें तो अल्मोड़ा बारामंडल विधानसभा सीट सवर्ण बाहुल्य सीट मानी जाती है। इस विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम तय करने में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

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