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आपातकाल भारत के लोकतंत्र का अमिट काला धब्बा, खुलेआम हत्याओं का हुआ था नंगा नाच : सतीश लखेड़ा

Reporter Khabar Uttarakhand
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ankita lokhande

ankita lokhandeदेहरादून : आज ही के दिन आपातकाल घोषित किया गया था। 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित रहा था जिसको लेकर आज भाजपा ने कांग्रेस पर वार पर वार किया।

हर लोकतांत्रिक आवाज का दमन-सतीश लखेड़ा

भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय मीडिया टीम के सदस्य सतीश लखेड़ा ने इस मौके पर कहा कि 25 जून 1975 की काली रात आजादी के 28 साल बाद देश फिर नेहरू-गांधी खानदान का गुलाम हो गया। केवल और केवल गुंडाराज। हर लोकतांत्रिक आवाज का दमन। यह भारत के लोकतंत्र का अमिट काला धब्बा है, जिसने साबित किया कि यह परिवार हर हाल में सत्ता चाहता है और सत्ता के लिए कुछ भी कर सकता है।

अखबारों में सरकारी मुलाजिम बैठाए गये ताकि सरकार की ही तारीफ छपे-सतीश लखेड़ा

भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय मीडिया टीम के सदस्य सतीश लखेड़ा ने कहा कि नैतिकता यहां मायने नहीं रखती। इंदिरा गांधी ने केवल कोर्ट के एक निर्णय, जो उनकी इच्छा के विपरीत था… इससे नाराज होकर देश में आपातकाल लगा दिया। विरोधियों को जेलों में ठूंस दिया, पत्रकारों को जेल, दबंगई और प्रताड़ना से साधने की कोशिश की गयी। कहा कि अखबारों में सरकारी मुलाजिम बैठाए गये ताकि सरकार की ही तारीफ छपे। जो रास्ते में आया उसने भुगता, खुलेआम हत्याओं का नंगा नाच था। आवाज उठाने वाली भीड़ पर गोलियां चला कर हत्याएं की गई। जबरन नसबंदी अभियान चला, संत महात्मा, अविवाहित, विक्षिप्त सब नपे।

अतिक्रमण के नाम पर बुलडोजर से बस्तियां उजाड़ी-भाजपा नेता

सतीश लखेड़ा ने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि अतिक्रमण के नाम पर बुलडोजर से बस्तियां उजाड़ी। पार्टी के भीतर आवाज उठाने वाले हेमवती नंदन बहुगुणा और जगजीवन राम को पार्टी से बाहर किया। आरके धवन, एचकेएल भगत, बंसीलाल जैसे चटकारों की खुलेआम गुंडई जनता ने भोगी। जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी बाजपेई, लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडीज जैसे लोगों को जेलों में ठूँस दिया गया। यह सब इसलिए हुआ की सत्ता जा रही थी, सत्ता चाहिये थी।

सतीश लखेड़ा ने इस मौके पर दमन, हत्या, टॉर्चर, जेल, मुकदमे सहने वाले हर बलिदानी को नमन।

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