Big News : अल्मोड़ा में गूंजी भू-कानून की गूंज, गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक हल्ला बोल - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

अल्मोड़ा में गूंजी भू-कानून की गूंज, गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक हल्ला बोल

Sakshi Chhamalwan
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अल्मोड़ा के भिकियासैंण में गूंजी भू-कानून की गूंज,

अल्मोड़ा के भिकियासैंण में बुधवार को भू-कानून की मांग को लेकर ग्रामीणों का आक्रोश सड़कों पर ही फूट पड़ा। मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के नेतृत्व में स्थानीय जनता ने इंटर कॉलेज भिकियासैंण से किनारी बाजार, रामलीला ग्राउंड होते हुए तहसील तक प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद आंदोलनकारियों ने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा ।

अल्मोड़ा के भिकियासैंण में गूंजी भू-कानून की गूंज

भिकियासैंण में आयोजित में बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ मौजूद थी। ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ जमकर किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि आज न तो उत्तराखंड के मूल निवासियों को उनके अधिकार मिल रहे हैं और ना ही सरकार गैरसैण को स्थाई राजधानी बना रही है। परिसीमन जनसंख्या के आधार पर होने से पहाड़ से विधानसभा सीटें घट रही है। वहीं दूसरी ओर राज्य में फर्जी स्थायी निवास बन रहे हैं।

बाहरी लोग कर रहे जमीनों पर कब्जा

मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि मूल निवास हमारा नैसर्गिक अधिकार है। आज अपने ही राज्य में मूल निवासी दोयम दर्जे का नागरिक बनकर रह गया है। बाहर से आने वाले लोग मूल निवासियों की नौकरियों से लेकर जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं और हमारे संसाधनों पर डाका डाल रहे हैं।

बाहर के लोगों ने हमारी जमीन पर रिसोर्ट बनाकर हमारे लोगों को नौकर और चौकीदार बना दिया है। यह लड़ाई हमारे स्वाभिमान, अस्मिता और अस्तित्व को बचाने की है। जिसमें हम सभी को मिलकर लड़ना है। सरकार आंदोलन को तोड़ने के लिए तमाम षड्यंत्र कर रही है। लेकिन हमें एकजुट रहना है।

मूल निवासी अपने ही राज्य में धक्के खाने को है मजबूर

मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया का कहना है कि आज मूल निवासी अपने ही राज्य में धक्के खाने के लिए मजबूर हैं। बाहर से आने वाले लोगों ने अपने फर्जी स्थाई निवास बनाकर हमारे संसाधनों पर डाका डाल दिया है।

नौकरियां, जमीन से लेकर हर तरह के संसाधनों को लूटा जा रहा है। आज हमारी सांस्कृतिक पहचान खतरे में है। जब हमारा राज्य बचेगा, तभी हमारे त्योहार बचेंगे। आज डेमोग्राफी बदलने से सबसे बड़ा खतरा उत्तराखंड की संस्कृति को होने जा रहा है।

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Sakshi Chhamalwan उत्तराखंड में डिजिटल मीडिया से जुड़ीं युवा पत्रकार हैं। साक्षी टीवी मीडिया का भी अनुभव रखती हैं। मौजूदा वक्त में साक्षी खबरउत्तराखंड.कॉम के साथ जुड़ी हैं। साक्षी उत्तराखंड की राजनीतिक हलचल के साथ साथ, देश, दुनिया, और धर्म जैसी बीट पर काम करती हैं।