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भूकंप आया लेकिन उत्तराखंड में नहीं बजी घंटी, ऐसे कैसे होंगे आपदा में अलर्ट

Yogita Bisht
4 Min Read
भूकंप (1)

जहां एक ओर वैज्ञनिक लगातार किसी बड़े भूंकप को लेकर चेता रहे हैं तो वहीं उत्तराखंड में इसे लेकर सरकार गंभीर नहीं दिखाई दे रही है। मंगलवार को प्रदेश के साथ ही देश के कई राज्यों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। लेकिन लोगों को अलर्ट करने के लिए बनाया गया Earthquake Alert App में अलार्म ही नहीं बजा।

भूकंप आया लेकिन नहीं बजी उत्तराखंड में घंटी

प्रदेश में जनता को भूकंप आने पर अलर्ट करने के लिए बनाया गया एप शोपीस बनकर रह गया है। मंगलवार को भूकंप तो आया लेकिन उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप का अलार्म नहीं बजा। मंगलवार को नेपाल में आए भूकंप से उत्तराखंड से लेकर दिल्ली तक धरती डोली। लेकिन इस एप ने लोगों को सतर्क नहीं किया।

माक ड्रिल के दौरान बजती है घंटी लेकिन भूकंप आने पर नहीं

एक ओर अब जहां उत्तराखंड सरकार वैश्विक स्तर के वृहद डिजास्टर मैनेजमेंट कॉन्क्लेव की बात कर रही है तो वहीं भूकंप के लिहाज से बेहद ही संवेदनशील राज्य में Earthquake Alert App होने के बावजूद लोगों को भूकंप आने के बाद भी अलर्ट नहीं किया गया। लोगों माक ड्रिल के दौरान उनके मोबाइल पर डाउनलोड इस एप में अलार्म सुनाई देता है लेकिन असल में जब भूकंप आया तो एप में अलार्म नहीं बजा।

पिछले साल भी नहीं बजा था अलार्म

ये एक बार नहीं है जब लोगों के जीवन से खिलवाड़ किया गया है और ऐसी लापरवाही की गई हो। पिछले साल भी जब नेपाल में भूकंप आया था तो लोगों के फोन में अलर्ट की घंटी नहीं बजी थी। लेकिन तब इस पर अधिकारियों का कहना था कि 5.5 से अधिक परिमाण का भूकंप आने पर ही अलार्म बजता है।

लेकिन साल 2022 में नौ नवंबर को उत्तराखंड की सीमा से सटे नेपाल में 6.3 तीव्रता का भूकंप आया था। लेकिन तब भी अलार्म नहीं बजा था। तब आपदा प्रबंधन के अधिकारियों का कहना था कि इस भूकंप का केंद्र राज्य के नेटवर्क से दूर था। ऐसे में प्राइमरी तरंगों को राज्य में लगे सेंसर रीड करते हैं और ये 5.5 से कम की तीव्रता की थीं। इसी कारण अलार्म नहीं बजा।

एप के काम ना करने पर उठाया सवाल

बीते मंगलवार को प्रदेश में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। पहाड़ से लेकर मैदान तक भूकंप के कारण लोगों में अफरा-तफरी मच गई थी। लोग अपने घरों से बाहर निकल आए थे। लेकिन तब भी अलार्म नहीं थई। बता दें कि मंगलवार को आए भूकंप की तीव्रता 5.4 और 6.2 थी।

सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने एप के काम ना करने पर सवाल उठाए हैं। इसके साथ ही उनका कहना है कि जब जरूरी होता है तो ये काम नहीं करता लेकिन जब आवश्यकता नहीं होती तब ये अक्सर अलार्म देता है। आपदा प्रबंधन विभाग को इस को देखने की जरूरत है।

earthquake

उनका कहना है कि अब भी app के अलर्ट के Recent Recorded Earthquake मे नवंबर 2022 के अलर्ट ही आ रहे हैं। इसे भी ठीक करने की जरूरत है। एक ओर अब जहां उत्तराखंड सरकार वैश्विक स्तर के वृहद डिजास्टर मैनेजमेंट कॉन्क्लेव की बात कर रही है तो सबसे पहले उत्तराखंड जैसे संवेदनशील राज्य के लिए Earthquake Alert App और Early Warning System की बुनियादी जरूरतों को सही करने की जरुरत है।

ये फर्स्ट प्रायोरिटी होनी चाहिए। गौरतलब है कि अनूप नौटियाल उत्तराखंड के मुद्दों को उठाते रहते हैं। साल 2022 में भी उन्होंने इस मुद्दे को उठाया था। इस बार भी उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें शेयर की हैं। लेकिन एक साल बाद भी इस एप का हाल वैसा का वैसा है।

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योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।