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Dalai Lama नहीं, ये तय करेगा कौन होगा उत्तराधिकारी? भारत में चीन के राजदूत को आया गुस्सा

Uma Kothari
3 Min Read
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दलाई लामा(Dalai Lama ) के पुनर्जन्म को लेकर विवाद गहराता चला जा रहा है। भारत में मौजूद चीन के राजदूत शू फेईहोंग ने ये साफ किया कि 14वें दलाई लामा को कोई अधिकार नहीं है कि वो ये तय करें कि सदियों पुरानी पनर्जन्म की ये प्रक्रिया चलेगी या नहीं। ये बयान तब आया जब दलाई लामा ने सार्वजनिक तौर पर उत्तराधिकारी की योजना बताई। साथ ही पुनर्जन्म को लेकर विश्वास भी जताया।

भारत में चीन के राजदूत को आया गुस्सा

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर चीनी राजदूत ने कहा, “दलाई लामाओं का पुनर्जन्म न तो वर्तमान दलाई लामा से शुरू हुआ और न ही उनके साथ खत्म होगा।” उन्होंने बताया कि ये 700 साल पुरानी परंपरा है। साथ ही दावा भी किया कि ये एक धार्मिक परंपरा है। ये किसी एक व्यक्ति के अधिकार में नहीं है।

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हजारों पुनर्जन्म परंपराएं आज भी सक्रिय

चीन की माने तो, “लिविंग बुद्धा पुनर्जन्म प्रणाली’ तिब्बती बौद्ध धर्म की एक विशिष्ट धार्मिक पद्धति है, जो तिब्बत और उसके आसपास के क्षेत्रों जैसे सिचुआन, युन्नान, गांसू, और छिंगहाई में आज भी सक्रिय है। वहां 1,000 से अधिक पुनर्जन्म परंपराएं चल रही हैं।”

Dalai Lama ने ट्रस्ट को दी जिम्मेदारी

बता दें कि बीते दिन धर्मशाल में दलाई लामा का 90वें वा जन्मदिवस मनाया गया। अपने जन्मदिन पर दलाई लामा ने कहा कि उत्तराधिकारी की पहचान एक ट्रस्ट द्वारा की जाएगी। चीन सरकार का इसमें कोई रोल नहीं होगा। साथ ही उन्होंने इस बात को भी स्पष्ट किया कि इस प्रोसेस में आध्यात्मिक नेता, निर्वासित तिब्बती सरकार और अन्य जरूरी पक्ष भी शामिल होंगे।

पुनर्जन्म को नहीं दी जाएगी मान्यता?

चीन ने अपनी प्रतिक्रिया दोहराते हुए कहा कि किसी की पुनर्जन्म को मान्यता नहीं दी जाएगी जब तक उसे चीन की केंद्रीय सरकार मंजूरी ना दे दे। साल 2007 बीजिंग कानून का हवाला देते हुए कहा गया कि पुनर्जन्म की प्रक्रिया का अधिकार राज्य के नियंत्रण में है। हालांकि बौद्ध धर्मगुरु और तिब्बत समुदाय इसके सख्त खिलाफ हैं।

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