Dehradun : UCC को लेकर सामने आया कांग्रेस का रिएक्शन, कहा जबरन थोपने से बिगड़ सकता है माहौल - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

UCC को लेकर सामने आया कांग्रेस का रिएक्शन, कहा जबरन थोपने से बिगड़ सकता है माहौल

Sakshi Chhamalwan
4 Min Read
KARAN MAHARA

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने रिपोर्ट सीएम धामी को सौंप दी है। जल्द ही ड्राफ्ट विधानसभा में पेश किए जाने की उम्मीद है। जिस पर विपक्ष ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

UCC को लेकर सामने आया कांग्रेस का रिएक्शन

बता दें उत्तराखंड UCC को लागू करने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है। वहीं उत्तराखंड में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस पूरी तरीके से इसके पक्ष में नजर नहीं आ रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि राज्यहित के लिए जो सर्वोपरि होगा वह अच्छी बात है। लेकिन यदि किसी के अधिकारों का हनन होगा तो उसके खिलाफ कांग्रेस आवाज बुलंद करेगी।

प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा समान नागरिक संहिता में अभी तक क्या कुछ प्रावधान है। इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। इसलिए सरकार को कल तक ही UCC का ड्राफ्ट सभी विधायकों को पत्रकारों को और बुद्धिजीवियों को उपलब्ध कराना चाहिए। ताकि सभी को यह मालूम पता चले की समान नागरिक संहिता में क्या कुछ प्रावधान है।

UCC लागू करना नहीं होगा आसान

कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा की यूसीसी पर राज्य और केंद्रीय सरकार ने अभी तक कोई ड्राफ्ट जनसामान्य के सामने प्रस्तुत नही किया है। यदि सरकार ड्राफ्ट प्रस्तुत करती तो यह पता चल जाता कि सरकार किन किन विषयों पर समानता चाहती है। दसौनी ने कहा की समान नागरिक संहिता लागू करना आसान नहीं होगा।

कांग्रेस प्रवक्ता दसौनी ने कहा की यह समवर्ती सूची का विषय है। इस विषय पर केन्द्र और राज्य दोनो ही कानून बना सकते हैं। किंतु जब कभी केन्द्र कानून बनाएगा तो वही अंब्रेला लॉ होगा तब राज्यों के बने कानून निष्प्रभावी होंगे या विलय हो जाएंगे।

दसौनी ने कहा कि संविधान के भाग तीन मूलाधिकारो में संशोधन करना आसान नहीं ? क्या संविधान संशोधन सुप्रीम कोर्ट में वैधानिकता पाएगा। दसौनी ने बताया की अनुच्छेद 368 में संसद को असीमित शक्तियां नहीं हैं। UCC को सरल भाषा में समझे तो भारत के हर नागरिक के लिए एक समान कानून हो, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म का क्यों न हो।

केंद्र सरकार क्यों हट रही पीछे

कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक, दत्तक ग्रहण, संपत्ति आदि में सभी धर्मों के लिए एक समान कानून की परिकल्पना है ऐसे में यदि यह कानून इतना ही देश हित प्रदेशहित और जनहित में है तो फिर केंद्र सरकार इसे लाने के लिए पीछे क्यों हट रही है।

दसौनी ने कहा की भारत विविधताओं का देश है। यहा अतीत से ही धर्म पर आधारित पर्सनल लॉ बने हुए हैं। जैसे हिन्दू पर्सनल लॉ के तहत हिन्दू दत्तक ग्रहण एवम भरण पोषण अधिनियम 1956, हिन्दू विवाह अधिनियम 1955, हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956,(संशोधित 2005) वैसे ही मुस्लिम पर्सनल लॉ में भी अनेकों निजी कानून है जिनमे कुछ कोडीफाइड नहीं है।

जबरन थोपने से बिगड़ सकता है देश का ताना बाना

दसौनी ने कहा की राज्य को समान नागरिक संहिता लागू करने का अधिकार तो है पर केवल राज्य ही क्यों UCC को लाने से केंद्र सरकार क्यों बच रही है। उत्तराखंड सरकार को चाहिए की सभी हितधारको को भरोसे में लिए बिना यूसीसी को थोपे नहीं दसौनी ने कहा जबरन थोपने से देश का ताना बाना बिगड़ सकता है।

Share This Article
Sakshi Chhamalwan उत्तराखंड में डिजिटल मीडिया से जुड़ीं युवा पत्रकार हैं। साक्षी टीवी मीडिया का भी अनुभव रखती हैं। मौजूदा वक्त में साक्षी खबरउत्तराखंड.कॉम के साथ जुड़ी हैं। साक्षी उत्तराखंड की राजनीतिक हलचल के साथ साथ, देश, दुनिया, और धर्म जैसी बीट पर काम करती हैं।