Politics : लाठीचार्ज के मुद्दे पर त्रिवेंद्र का धामी सरकार पर हमला, कांग्रेस प्रवक्ता ने किया धामी का बचाव - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

लाठीचार्ज के मुद्दे पर त्रिवेंद्र का धामी सरकार पर हमला, कांग्रेस प्रवक्ता ने किया धामी का बचाव

Basant Nigam
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TRIVENDRA AND GARIMA NEWS

सियासत भी अजीब चीज होती है। कब कौन किसके लिए बैटिंग करने लगे कुछ पता नहीं है। अब नए समीकरण देखिए। बीजेपी का नेता, बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री पर सियासी हमला कर रहा है कि और कांग्रेस का प्रवक्ता एक बीजेपी नेता के बयान के सहारे दूसरे बीजेपी नेता का बचाव कर रहा है। ये ठीक वैसा ही है जैसा कोई ये बताने लगे कि तेरी कमीज मेरी कमीज से बेहतर कैसे ?

अब मामला समझिए, दरअसल हाल ही में देहरादून में पुलिस वालों ने युवाओं पर लाठीचार्ज कर दिया। इस लाठीचार्ज को लेकर खासा बवाल मचा। कई युवा चोटिल हुए। सरकार निशाने पर आ गई। विपक्ष ने आंदोलन का ऐलान कर दिया। हालांकि इसी बीच बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का एक बयान सामने आ गया। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पौड़ी में एक बयान दे दिया। बयान क्या दिया समझिए पूरी शीशा उड़ेल दिया। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पूरे दिल की गहराई और साफगोई से लाठीचार्ज को लेकर माफी मांग ली। उन्होंने बकायदा ये बयान दिया कि लाठीचार्ज नहीं होना चाहिए था।

जाहिर सी बात है कि ये सरकार के लिए असहज करने वाली स्थिती थी और विपक्ष के लिए हमले के लिए मिला एक हथियार। लेकिन हुआ क्या? हुआ ये कि कांग्रेस की प्रवक्ता ने ये हथियार इस्तमाल तो किया लेकिन पूरी सतर्कता के साथ। इस हथियार से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को कोई खंरोच न आए इसका पूरा ध्यान रखा गया।

कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा माहरा दसौनी ने एक बयान जारी किया, इसमें लिखा, त्रिवेंद्र रावत जी की अंतरात्मा आज अचानक कैसे जाग गई या फिर इस बयान का मतलब किसी पर अप्रत्यक्ष चोट करना है?? दसौनी ने कहा कि त्रिवेंद्र का बयान चौंकाने वाला है क्योंकि जब त्रिवेंद्र रावत सूबे के मुख्यमंत्री थे तो गैरसैण में मात्र एक सड़क चौड़ीकरण की मांग को लेकर 90 दिनों से ज्यादा आंदोलनरत मातृशक्ति पर दिसंबर की ठंड में वाटर कैनन छोड़े गए और लाठीचार्ज किया गया परंतु उस वक्त चौतरफा घिरने के बाद भी त्रिवेंद्र रावत ने प्रदेश की जनता और मातृशक्ति से अपनी करनी के लिए कोई क्षमा नहीं मांगी ,बल्कि उल्टा धृतराष्ट्र की तरह चुप्पी साध कर बैठ गए।
दसोनी ने भाजपा सरकार पर तगड़ा हमला बोलते हुए कहा की भाजपा की सरकार लाठीचार्ज सरकार का पर्याय बन गयी है ।

दसोनी ने कहा कि भाजपा राज में तानाशाही और नादिरशाही अपने चरम पर है ।दसोनी ने कहा कि यह उत्तराखंड राज्य की विडंबना ही है कि प्रदेश की जनता ने भूतो ना भविष्यति इतना बड़ा बहुमत भाजपा को एक बार नहीं दो बार दिया परंतु बदले में भाजपा ने जनता को लाठियां सौगात में दी हैं ।

दसोनी ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है की भारतीय जनता पार्टी जब जब सत्ता में आती है तो लोकतंत्र की हत्या करते हुए दमनकारी नीति का सहारा लेती है और पहले से ही शोषित पीड़ित और परेशान जनता पर लाठी चार्ज करने का काम करती है ।

गरिमा ने कहा कि चाहे मातृशक्ति आंदोलन करें या युवा ,समाज का कोई भी वर्ग कोई भी आंदोलन अपनी खुशी से नहीं करता जब चारों तरफ दरवाजे बंद हो जाते हैं तब लोगों को सड़कों पर उतरना पड़ता है ।
पर अपनी उस जनता जिसने सत्ता का सुख दिलाया हो उनकी समस्याओं का निवारण करने के बजाय उन पर लाठियां भाजना कैसा न्याय है? दसोनी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान पर व्यंग करते हुए कहा की आज त्रिवेंद्र रावत स्वयं को जिम्मेदार नागरिक भी कह रहे हैं और पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी सफाई भी दे रहे हैं परंतु शायद वह अपने पुराने दिन भूल गए जब युवाओं को न नौकरी मिल रही थी न स्वरोजगार के कोई अवसर थे और बेरोजगारों के घाव पर नमक छिड़कने के लिए समय-समय पर बस समाचार पत्रों में मात्र नौकरियों की खबरें छपा करती थी ।

कोरोनाकाल में चार लाख से ज्यादा युवा रिवर्स पलायन करके प्रदेश में पहुंचे त्रिवेंद्र रावत उनका विश्वास भी जीत पाने में सफल नहीं हुए और करो ना समाप्त होते ही वह सभी युवा उत्तराखंड छोड़कर लौट गए ।
दसोनी ने कहा दरअसल भारतीय जनता पार्टी का यही चाल चरित्र चेहरा है इनके हाथी के दांत खाने के और हैं और दिखाने के और ।

सत्ता पाते ही अहंकार और हनक भाजपाइयों के सर चढ़कर बोलती है और यह स्वयं को भगवान समझने लगते हैं ।।दसोनी ने कहा कि भाजपाइयों को गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए आने वाले निकाय चुनाव में और लोकसभा के आम चुनाव में जनता अपने ऊपर हुए महंगाई बेरोजगारी जैसे एक-एक प्रहार का और युवा अपने हर घाव का बदला लेगा।

अब इस पूरी दास्तान को पढ़ने के बाद आपको सीएम धामी के खिलाफ एक भी शब्द शायद ही मिला हो। अब इसे प्रवक्ता महोदय की गलती कहें या फिर सियासी बाजीगरी लेकिन हैरत तो होती है जब आप विपक्ष की सरकार के मुख्यमंत्री पर निशाना साधने का मौका मिले और आप उसे प्रयोग न करें।

 

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