Highlight : आम बजट से गायब दिखे उत्तराखंड के सरोकार: गरिमा - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

आम बजट से गायब दिखे उत्तराखंड के सरोकार: गरिमा

Reporter Khabar Uttarakhand
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# Uttarakhand Assembly Elections 2022

# Uttarakhand Assembly Elections 2022
आज केंद्रीय निर्मला सीतारमण ने संसद में आम बजट पेश किया। कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता और गढ़वाल प्रभारी गरिमा महरा दसौनी ने कहा कि बजट अत्यंत निराश करने वाला रहा। दसौनी ने कहा कि मंहगाई पर रोक लगाने या उसे कम करने का कोई दृष्टिकोण बजट में नहीं दिखाई पड़ा। जबकि आम जनता बहुत बेसब्री से इस बात का इंतजार कर रही थी कि केंद्र सरकार से उसे किसी न किसी रूप में मंहगाई से निजात मिलेगी। लेकिन, उसके हाथ घोर निराशा ही आई है।

दसौनी ने कहा कि आईएलओ (इंटरनेशनल लेबर औरग्नाईजेशन) के आंकड़ों के अनुसार देश की बेरोजगारी दर दिसम्बर 2021 में 7.91 प्रतिशत दर्ज की गयी है। जो कि एक डरावना आंकड़ा है। दसौनी ने कहा कि निकट भविष्य में भी इस आंकड़े में कोई कटौती होते नहीं दिखती। आईएलओ के अनुसार देश की बेरोजगारी खौफनाक और खुंखार रूप से बढ़ रही है, जिसके लिए इस बजट में कहीं से कहीं तक कोई राहत मिलती नहीं दिखती।

उन्होंने कहा कि गौर करने वाली बात यह है कि सरकार की मनरेगा के प्रति उदासीनता दुर्भाग्यपूर्ण है। मनरेगा के बजट में कोई इजाफा न किया जाना ग्रामीण आर्थिकी की कमर तोड़ने जैसा है। दसौनी ने कहा कि आज जब लोग कोरोना वैश्विक महामारी के बाद गांव का रूख कर रहे हैं, ऐसे में मनरेगा योजना ही उनके लिए संकट मोचक सिद्ध हो सकती है। लेकिन, सरकार का मनरेगा को लेकर भी दूरदर्शिता इस बजट में नजर नहीं आयी।

दसौनी के अनुसार 2014 में जब सरदार मनमोहन सिंह की सरकार देश में थी, तो इनकम टैक्स का स्लेब 2 लाख पर छोडकर गयी। 2015 में मोदी सरकार ने 50हजार की मामूली बढोत्तरी इसमें कर के इसे 2.50लाख किया। ऐसा दिखाई पड़ता है कि 2015 के बाद मोदी सरकार इनकम टैक्स स्लैब में बढ़ोत्तरी करना भूलकर कुंभकरण की नींद में सो गयी।

उन्होंने कहा कि आज जिस तरह देश में मंहगाई, बेरोजगारी और गरीबी से आम जनता त्रस्त है। उसे देखते हुए देश में इनकम टैक्स के स्लेब को 5 लाख किये जाने की जरूरत थी। अलबत्ता पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए कॉरपोरेट सेक्टर के टैक्स में जरूर तब्दीलियां की गईं। दसौनी ने कहा कि यदि उत्तराखंड की बात की जाए तो उत्तराखंड की झोली एक बार फिर खाली ही रही। उत्तराखंड की जनता से केंद्र सरकार के नेताओं ने बारबार वायदे और दावे करने के अलावा धरातल पर कुछ नहीं किया।

उत्तराखंड से लगातार औद्योगिक पैकेज विशेष राज्य के दर्जे की मांग के साथ साथ ग्रीन बोनस की मांग प्रमुखता से उठायी गयी। परन्तु नतीजा सिफर ही रहा दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड 70 प्रतिशत वन अछादित प्रदेश है। ऐसे में पर्यावरण के क्षेत्र में उत्तराखंड का योगदान अतुलनीय है। दसौनी ने कहा अतिश्योक्ति नहीं होगी। उत्तराखंड पूरे उत्तर भारत को ऑक्सीजन कवर देने का काम करता है।

उत्तर भारत के लोग यदि स्वच्छ हवा में सांस ले पाते हैं, तो वह उत्तराखंड की बदौलत है। ऐसे में केन्द्र सरकार को चाहिए था कि वह उत्तरखंडवासियों को ग्रीन बोनस देती। दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य के कई विकास कार्य शीर्फ इसलिए अवरूद्ध हो जाते हैं, क्योंकि कभी एनजीटी तो कभी वन विभाग पर्यावरण की दुहाई देकर एनओसी नहीं देते।

दसौनी ने आगे कहा कि राज्य आज बहुत ही विकट आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा ह।ै ऐसे में राज्य का दूरिज्म सेक्टर या सर्विस सेक्टर उसे बहुत आस केन्द्र के बजट से थी। परन्तु उनके सपनों पर भी पानी फिर गया। पर्वतीय राज्य होने की वजह से रेल कनेक्टीविटी की मांग भी राज्य लगातार उठ रही थी। उस पर भी कोई ठोस निर्णय केन्द्र सरकार ने नहीं लिया।

उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर केन्द्र सरकार का बजट घोर निराशा और उत्तराखंड के साथ सौतेला व्यवहार करने वाला बजट है। न इसमें प्रदेश के युवाओं के लिए न महिलाओं के लिए न किसानों के लिए न कर्मचारियों के लिए और न ही व्यापारियों के लिए कोई आस दिखाई पड़ती है।

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