देहरादून : 2022 के विधानसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है। इस बार किसकी सरकार बनेगी, यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे, लेकिन 2017 में मोदी लहर में प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली भाजपा सरकार का कार्यकाल काफी उथल-पुथल वाला रहा। राज्य का इतिहास मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल पूरा नहीं कर पाने के लिए जाना जाता है। लेकिन, इस बार एक नहीं, बल्कि राज्य ने एक ही सरकार ने तीन-तीन मुख्यमंत्री देखे। इसके अलावा भी कई ऐसे मामले हैं, जिनके चलते राज्य पूरे पांच साल चर्चाओं में रहा।
प्रचंड बहुत की सरकार होने के बावजूद, सरकार को अपने ही फैसलों को बदलना पड़ा। इन पांच सालों में जहां सरकार ने कुछ बड़े फैसले किए। वहीं, कुछ फैसले ऐसे भी रहे, जिनके चलते सरकार को किरकिरी झेलनी पड़ी। लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं, सरकार को मजबूर होकर अपने ही फैसलों को पलटना भी पड़ा।
सबसे पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया। त्रिवेंद्र रावत को अपनी पार्टी में नेताओं और मंत्रियों के विरोध का सामना करना पड़ा। विरोध इस कदर बढ़ गया था कि उनके खिलाफ बगावत की खबरें सामने आने लगी। स्थिति को हाथ से निकलता देख भाजपा आलाकमान ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को चार साल का कार्यकाल भी पूरा नहीं करने दिया। उनको कार्यकाल पूरा होने के कुछ दिन पहले ही हटा दिया गया।
नए सीएम के लिए कई चेहरों पर चर्चा हुई। लेकिन, मुहर गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत के नाम पर लगाई गई। तीरथ सिंह रावत ने एक के बाद एक विवादित बयान दिए। पार्टी को लगा कि इनके सहारे 2022 का चुनावी समर जीतना कठिन होगा। भाजपा ने उनको भी कुछ ही दिनों में सीएम की कुर्सी से चलता कर दिया।
अब बारी पांच साल की सरकार में तीसरे सीएम की थी। चर्चाओं का दौर चला। नाम का ऐलान हुआ तो हर कोई चौंक गया। इस बार भाजपा ने युवा चेहरे पुष्कर सिंह धामी को कमान सौंपी। भाजपा ने अबकी बार, युवा सरकार, 60 पार का नारा भी दे डाला। धामी ने सत्ता संभालने के साथ ही तेजी से काम करना शुरू कर दिया।
उनके पास करने के लिए बहुत अधिक वक्त नहीं था। धामी ने इस दौरान पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के लिए फैसलों को बदलने का काम भी किया और कुछ बड़े फैसल लेकर सरकार को पटरी पर बनाए रखा। अपनी पहले ही बैठक में उन्होंने युवाओं के लिए नौकरियों को ऐलान किया था, जो पिछले साढ़े साल सालों में भाजपा के दोनों सीएम नहीं कर पाए थे।