उत्तराखंड को खसरा और रूबेला जैसी घातक संक्रामक बीमारियों से मुक्त करने के लक्ष्य को लेकर बुधवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तराखंड के सभागार में राज्य टास्क फोर्स की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई. बैठक की अध्यक्षता मिशन निदेशक स्वाति एस. भदौरिया ने की.
सक्रिय निगरानी और डिजिटल मॉनिटरिंग पर जोर
बैठक में 2026 तक प्रदेश को खसरा-रूबेला मुक्त बनाने की दिशा में की जा रही तैयारियों की समीक्षा की गई. मिशन निदेशक ने कहा कि सरकार इस लक्ष्य को समय पर प्राप्त करने के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है. बैठक में यह तय किया गया कि खसरा-रूबेला जैसे टीकों से रोकी जा सकने वाली बीमारियों की पहचान VPD सर्विलांस के ज़रिए की जाएगी. प्रकोप की स्थिति में तत्काल प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत किया जाएगा. साथ ही UWIN पोर्टल के माध्यम से टीकाकरण सत्रों की डिजिटल मॉनिटरिंग और विश्लेषण किया जाएगा.
खसरा-रूबेला की गंभीरता पर चेताया
मिशन निदेशक ने बताया कि जुलाई से अगले तीन महीनों तक प्रदेशभर में विशेष एम.आर. टीकाकरण सप्ताह चलाए जाएंगे. इन सत्रों की निगरानी भी UWIN पोर्टल के माध्यम से की जाएगी. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी सत्र में रुकावट आती है तो कारणों की समीक्षा कर सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे.
स्वाति एस. भदौरिया ने कहा कि ये बीमारियां बच्चों को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं. इससे निमोनिया, मस्तिष्क ज्वर, अंधापन और मृत्यु तक का खतरा होता है, वहीं गर्भवती महिलाओं में भ्रूण विकृति व गर्भपात जैसी जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. इसलिए राज्य में 95% या उससे अधिक टीकाकरण कवरेज सुनिश्चित कर सामुदायिक प्रतिरक्षा विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है.