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लॉकडाउन में परेशान बुजुर्ग से बोला बैंक : आप तो मर चुकीं, पैसे कैसे दें ?

Reporter Khabar Uttarakhand
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aiims rishikesh

aiims rishikeshछपरा: अगर आपका किसी बैंक में खता है और आप अपने खाते से पैसा निकालने बैंक गए हैं, लेकिन बैंक पैसा देना के बजाय ये कहता है कि आप तो मर चुकी हैं। आपको आपके खाते के पैसे कैसे दें। इतना सुनने बाद आपके होश उड़ जायेंगे. कुछ ऐसा ही बिहार के छपरा जिले में भी हुआ है. यहां के बनियापुर प्रखंड के धवरी टोला गांव की गरीब महिला चानो देवी के साथ ठीक यही हुआ है. चानो देवी जब लॉकडाउन के दौरान अपने जनधन खाते से पैसा निकालने गई तो उन्हें कुछ ऐसा ही जवाब मिला. अब चानो को ये सबूत देना पड़ रहा है कि वह मरी नहीं जिंदा हैं.

लॉकडाउन के चलते चानो को भी पैसे की दिक्कत हो गई थी। इसी बीच 20 अप्रैल को उन्हें खबर मिली कि ग्रामीण बैंक के सीएसपी पर कोरोना बन्दी के दौरान सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत लोगों को पैसे मिल रहे हैं। चानो देवी भी अपने पैसे निकालने के लिए वहां पहुंची। लेकिन, सीएसपी संचालक से उन्हें पता चला कि खाता तो बंद हो गया है। जब बुजुर्ग महिला इसकी वजह पूछी तो बताया गया वो मर चुकी हैं, इसलिए उनका खाता बंद कर दिया गया है।

चानो देवी बेहद परेशान थीं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि ये हुआ कैसे। एक तो लॉकडाउन ऊपर से पैसों की दिक्कत और अब खुद को जिंदा साबित करने की कोशिश। लिहाजा, चानो देवी ने बैंक से ही पूछा कि आखिर उन्हें मृत घोषित किसने किया। तब पता चला कि गांव की महिला सरपंच पूनम देवी ने ही उनकी मृत्यु का प्रमाण पत्र जारी किया था। सरपंच के लेटर हेड में लिखा गया है कि चानो की मौत 9 अक्टूबर 2019 को हो चुकी है। हैरत की बात ये है कि लेटर हेड पर साइन सरपंच पूनम देवी ने नहीं किया है।

पूछे जाने पर पंचायत की महिला सरपंच ने कहा है ‌कि यह गलती उनके छोटे बेटे ने की है। यानि लेटर हेड पर हस्ताक्षर भी सरपंच के बेटे ने ही कर दिया। ये भी एक बड़ा सवाल ही है कि एक जनप्रतिनिधि की जगह उसका बेटा फैसले कैसे ले रहा है। अब बुजुर्ग महिला चानो देवी काफी परेशान हैं, क्योंकि इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। चानो का कहना है कि वो अपने खाते के पैसों के सहारे ही थीं। ऐसे में उनकी मदद कौन करेगा।

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