बांग्लादेश में पिछले 2 महीने से चल रहे आरक्षण विरोधी छात्र संगठन के आंदोलन के बीच Sheikh Hasina ने सोमवार को अपने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया है और हिंसक माहौल के बीत वो देश छोड़कर भाग गई है। उनकी बहन रेहाना भी उनके साथ में है। बंगाल के रास्ते शेख हसीना दिल्ली पहुंची है। माना जा रहा है कि वो यहां से किसी दूसरे देश में शरण लेने जा सकती है। आइये जानते हैं कौन है शेख हसीना।
ढाका में जन्मी Sheikh Hasina
शेख हसीना का जन्म 29 सितंबर साल 1947 में ढाका में हुआ था। वह बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं। शेख हसीना को शुरुआत से पॉलिटिक्स में कोई दिलचस्पी नहीं थी। लेकिन साल 1966 में ईडन महिला कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनको राजनीति में दिलचस्पी हुई। तब वो स्टूडेंट यूनियन का चुनाव लड़कर वाइस प्रेसीडेंट बनी थी। इसके बाद इन्होनें अपनी पिता की पार्टी आवामी लीग के स्टूडेंट विंग की कमान संभालने का फैसला किया।

जब हुई पिता, मां और तीन भाईयों की हत्या
साल 1975 में शेख हसीना ने आवामी लीग को संभालना शुरु किया और इसी समय सेना ने बगावत कर दी और उनके परिवार के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया। इस लड़ाई में उनके पिता रहमान और मां के साथ तीन भाईयों की हत्या कर दी गई। उस समय शेख हसीना और उनके पति वाजिद मियां और छोटी बहन की जान बच गई थी। क्योंकि इस दौरान वह यूरोप में थी। इसके बाद पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने इन्हें भारत में शरण दी। करीब 6 साल तक शेख हसीना अपनी बहन के साथ यहां ठहरीं थी।
1981 में Sheikh Hasina लौटी अपने वतन
साल 1981 में शेख हसीना बांग्लादेश लौटीं। फिर उन्होनें अपने पिता की पार्टी को आगे बढ़ाया। वह पहली बार साल 1986 में आम चुनाव में उतरीं, हालांकि तब उन्हें बार का सामना देखना पड़ा था। लेकिन वो इस समय विपक्ष की नेता चुनी गई। साल 1991 में स्वतंत्र तौर पर इलेक्शन हुए। इसमें भी शेख हसीना की पार्टी को बहुमत नहीं मिला। विपक्ष दल खालिदा जिया ने सरकार का गठन किया।

1996 में बहुमत के साथ बनी प्रधानमंत्री
हालांकि साल 1996 में फिर चुनाव हुए। इस बार शेख हसीना की पार्टी भारी बहुमत से सत्ता में आई और शेख हसीना प्रधानमंत्री बनीं। 2001 के इलेक्शन में उन्हें फिर से हार का सामना करना पड़ा। फिर साल 2009 मे उन्होनें पीएम के रुप में दूसरी बार शपथ ली। साल 2014 में भी उन्हें तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री चुना गया। उन्होनें साल 2018 में भी जीत हासिल की और चौथे कार्यकाल के लिए पीएम बनीं। इसी साल उन्होनें पांचवी बार पीएम पद की शपथ ली। हसीना की पार्टी ने संसद में लगभग तीन चौथाई बार सीटें जीत ली थी।