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जानें धनतेरस से भाई दूज तक शुभ मुहूर्त, ऐसे करें पूजा

Reporter Khabar Uttarakhand
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नई दिल्ली : त्योहारी सीजन शुरू हो गया है। बाजार में तैयारियां जोरों पर हैं। ऐसे में हर कोई पूजा का शुभ मुहूर्त जानना चाहेगा।

धनतेरस, 13 नवंबर 
इस दिन पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त शायं प्रदोषकाल और स्थिर बृषभ लग्न में 5 बजकर 33 मिनट से 7 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।

नरक चतुर्दशी, 14 
रूपचौदस जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर शरीर में तेल मालिश करके औषधि स्नान करना चाहिए औषधि स्नान से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं। शुभ मुहूर्त शायं प्रदोष वेला में 05 बजकर 33 मिनट से 07 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। यम की प्रसन्नता के लिए दक्षिण मुख करके चारमुखी दीप प्रज्ज्वलन करें। इस दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले तेल लगाकर स्नान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।

दीपावली,14 नवंबर 
व्यापारिक प्रतिष्ठान, शोरूम, दुकान, गद्दी की पूजा, कुर्सी की पूजा, गल्ले की पूजा, तुला पूजा, मशीन-कंप्यूटर, कलम-दवात आदि की पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त अभिजित दोपहर 12 बजकर 9 मिनट से आरम्भ हो जाएगा। इसी के मध्य क्रमशः चर, लाभ और अमृत की चौघडियां भी विद्यमान रहेंगी जो शायं 04 बजकर 05 मिनट तक रहेंगी।

गृहस्थों के लिए श्रीमहालक्ष्मी पूजन मुहूर्त 
सायं 5 बजकर 24 मिनट से रात्रि 8 बजकर 06 तक प्रदोषकाल मान्य रहेगा। इसके मध्य रात्रि 7 बजकर 24 मिनट से सभी कार्यों में सफलता और शुभ परिणाम दिलाने वाली स्थिर लग्न वृषभ का भी उदय हो रहा है। प्रदोष काल से लेकर रात्रि 7 बजकर 5 मिनट तक लाभ की चौघड़िया भी विद्यमान रहेगी। यह भी मां श्रीमहालक्ष्मी और गणेश की पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्तों में से एक है। इसी समय परम शुभ नक्षत्र स्वाति भी विद्यमान है जो 8 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। सभी गृहस्थों के लिए इसी समय के मध्य में मां श्रीमहालक्ष्मी जी की पूजा-आराधना करना श्रेष्ठतम रहेगा।

ईष्ट साधना, श्रेष्ठ मुहूर्त महानिशीथ काल
घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर करन वाली मां श्री महाकाली, प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाने वाले भगवान श्रीकाल भैरव की पूजा, तांत्रिक जगत तथा ईस्ट साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त महानिशीथ काल का आरंभ रात्रि 10 बजकर 49 मिनट से आरंभ होकर मध्य रात्रि पश्चात 1 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इस काल के मध्य की गई साधना, मारण मोहन उच्चाटन, विद्वेषण, वशीकरण आदि के लिए मंत्र जाप का फल अमोघ होता है और वह मंत्र आपकी रक्षा करने में सहायक सिद्ध होता है।

अन्नकूट-गोवर्धन पूजा
15 नवंबर रविवार दोपहर 11 बजकर 44 मिनट से 01बजकर 53 मिनट तक अति श्रेष्ठ, छप्पन भोग मुहूर्त।

भाईदूज 
16 नवंबर सोमवार को बहनों द्वारा भाइयों के माथे पर तिलक करने का श्रेष्ठ मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 43 मिनट बजे से शायं 04 बजकर 28 मिनट तक।

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