Religious : Ambe Tu Hai Jagdambe Kali Aarti Lyrics, चैत्र नवरात्र में रोज करें ये आरती, माता होगी प्रसन्न, यहां जानें Ambe Ji Ki Arti Lyrics - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

ambe tu hai jagdambe kali aarti lyrics, चैत्र नवरात्र में रोज करें ये आरती, माता होगी प्रसन्न, यहां जानें ambe ji ki arti lyrics

Uma Kothari
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ambe tu hai jagdambe kali aarti lyrics ambe ji ki arti lyrics

ambe tu hai jagdambe kali aarti lyrics हर कोई ढ़ूढ रहा है। चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) 30 मार्च से शुरू हो गए है। इन नौ दिन देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। वैसे तो हर दिन माता रानी की पूजा(ambe ji ki arti lyrics) की जाती है। लेकिन इन नौ दिनों में माता की विशेष पूजा का महत्व है। इन नौ दिन कहा जाता है कि माता रानी पृथ्वी पर रहती है और अपने भक्तों का ख्याल और मनोकामनाए पूरी करती हैं।

इसलिए इन नौ दिन माता की अच्छे से पूजा अर्चना की जाती है। ऐसे में यदि आप भी माता रानी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो रोजाना नौ दिनों तक अंबे जी की आरती (ambe ma ki arti) करें। इस आर्टिकल में हमने ambe tu hai jagdambe kali aarti lyrics ‘अम्बे तू है जगदम्बे काली…’ आरती लिरिक्स दी है। जिसे पढ़कर आप मां दूर्गा को प्रसन्न कर सकते हैं।

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अंबे जी की आरती (ambe ma ki arti)

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

मां ब्रह्माचारिणी आरती।। (Maa Brahmacharini Ki Aarti)

आज नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। माता तपस्या और वैराग्य का प्रतीक हैं। उनकी आरती करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। कहा जाता है कि जो कोई भी भक्त सच्चे मन से मां ब्रह्मचारिणी की आरती करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। तो चलिए माता रानी की आरती जान लेते हैं।

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।

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मां दुर्गा जी की आरती (jai ambe gauri lyrics in hindi)

।।मां दुर्गा की आरती।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।।
जय अम्बे गौरी,…।

मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।।
जय अम्बे गौरी,…।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।
जय अम्बे गौरी,…।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।।
जय अम्बे गौरी,…।

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।।
जय अम्बे गौरी,…।

शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।।
जय अम्बे गौरी,…।

चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
जय अम्बे गौरी,…।

ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।
जय अम्बे गौरी,…।

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।
जय अम्बे गौरी,…।

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।
जय अम्बे गौरी,…।

भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।
जय अम्बे गौरी,…।

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।
जय अम्बे गौरी,…।

अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।
जय अम्बे गौरी,…।

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