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रामेश्वर घाट में तीन युवाओं की मौत के बाद भी नहीं जागा प्रशासन, नहीं किए गए सुरक्षा के उपाय

Yogita Bisht
3 Min Read
CHAMPAWAT

रामेश्वर घाट में तीन युवाओं की मौत के बाद भी प्रशासन नहीं जागा है। छह महीने के बाद भी रामेश्वर घाट में सुरक्षा के उपाय नहीं किए गए हैं। स्थानीय लोगों ने घाटों पर सुरक्षा के इंतजाम

तीन युवाओं की मौत के बाद भी नहीं जागा प्रशासन

लोहाघाट क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता मदन खोलिया ने जानकारी देते हुए बताया चंपावत जिले के बाराकोट ब्लॉक के प्रसिद्ध रामेश्वर घाट में पिछले 6-7 महीनों में ही तीन युवाओं की सरयू नदी में नहाने के दौरान डूबने से मौत हो गई थी। उससे पहले भी कई लोग अपनी जान इस घाट में गवा चुके हैं। खोलिया ने कहा इतने लोगों की जान जाने के बाद भी प्रशासन अब तक नहीं जागा है।

लोगों की जान के साथ किया जा रहा खिलवाड़

सामाजिक कार्यकर्ता मदन खोलिया का कहना है कि प्रशासन के द्वारा रामेश्वर घाट में न तो सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं और ना हीं जल पुलिस की तैनाती की गई है। प्रशासन लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है। उन्होंने कहा रामेश्वर घाट में पिथौरागढ़, चंपावत व अल्मोड़ा जिले से लोग शवदाह करने तथा पर्व स्थान के लिए आते हैं जिनकी सुरक्षा के लिए चंपावत प्रशासन के द्वारा कोई इंतजाम नहीं किया है।

जल पुलिस की हो तैनाती

खोलिया का कहना है कि रामेश्वर घाट में खनन व्यवसायियों के द्वारा जेसीबी से नदी को खोद-खोद कर बड़े-बड़े गड्ढे बना दिए हैं। जो अब जानलेवा तालाबों में बदल गए हैं। खोलिया ने चंपावत प्रशासन से घाट में जल पुलिस की तैनाती करने व हरिद्वार की तर्ज पर घाट में चेन बांधने की मांग की है ताकि लोगों की जान बचाई जा सके।

उन्होंने कहा प्रशासन से कई बार मांग करने के बाद भी प्रशासन कोई संज्ञान नहीं ले रहा है। उन्होंने कहा जल्द इस मामले में प्रधानमंत्री को पत्र लिखेंगे। इसके साथ ही उन्होंने क्षेत्र के प्रसिद्ध पंचेश्वर घाट में भी सुरक्षा के उपाय करने की मांग प्रशासन से की है। रामेश्वर घाट में खनन बंद करने की मांग की है।

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योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।