Dehradun : श्रीराम सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट की वर्कशॉप डायरेक्टर बनीं उत्तराखंड की लक्ष्मी रावत - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

श्रीराम सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट की वर्कशॉप डायरेक्टर बनीं उत्तराखंड की लक्ष्मी रावत

Reporter Khabar Uttarakhand
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देहरादून: थियेटर आर्टिस्ट लक्ष्मी रावत देश के बड़े थियेटर ग्रुपों में शुमार ‘श्रीराम सेंटर फॉर परफार्मिंग आर्ट’ की नयी वर्कशाप डायरेक्टर बन गई हैं. लक्ष्मी थियेटर के छात्रों को विभिन्न तरह के प्रशिक्षण देंगी. लक्ष्मी रावत मूल रूप से उत्तराखंड की रहने वाली हैं. खास बात ये है कि लक्ष्मी रावत ने अपने थियेटर कैरियर की शुरुआत भी श्रीराम सेंटर से ही की थी. उन्होंने श्रीराम सेंटर में दो साल का डिप्लोमा इन परफोर्मिंग आर्ट किया था. मूल रूप से पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लाॅक के बणस गांव की रहनेन वाली हैं.

श्रीराम सेंटर से कोर्स करने के दौरान वे ‘इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र’ दिल्ली में जॉब कर रही थीं और साथ में उन्हें अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का भी निर्वाह करना था. लक्ष्मी ने कई चर्चित नाटकों में काम किया और 2002 में खुद के थियेटर ग्रुप ’प्रज्ञा आर्ट्स’ की बुनियाद रखी. ‘प्रज्ञा आर्ट्स’ इस समय देश के स्थापित थियेटर ग्रुपों में से एक है. प्रज्ञा आर्ट्स के बैनर तले लक्ष्मी ने कई नाटकों का निर्देशन किया और कई में अभिनय भी किया, इनमें तीलू रौतेली, तृष्णा, जीतू बगड़वाल, चल अब लौट चलें, कै जावा भेंट आखिर, शांति विहार गली नंबर 6, क्योंकि मैं औरत हूं, पर्दा उठाओ पर्दाए गिराओ प्रमुख हैं.

उनके अधिकतर नाटकों का परिवेश उत्तराखंडी है. उत्तराखण्ड की वीरांगना तीलू रौतेली पर मंचित नाटक को उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री समेत कई दिग्गज नेताओं और नौकरशाह भी देख चुके है.. लक्ष्मी रावत द्वारा निर्देशित और उन्हीं की मुख्य भूमिका वाला प्रज्ञा आर्ट्स का नाटक ’क्योंकि मैं औरत हूं’ भारत ही नहीं अन्य देशों में भी मंचित हुआ. इस चर्चित नाटक की पृष्ठभूमि दिल दहला देने वाले निर्भया काण्ड के इर्द-गिर्द रची गयी थी. लक्ष्मी द्वारा निर्देशित लोकप्रिय नाटक ‘चल अब लौट चलें’ भी प्रवासी उत्तराखंडियों के दुखों को बहुत बेहतर तरीके से रचता है.

लक्ष्मी रावत वर्तमान में भी ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र’ में कार्यरत हैं. वे कई मास कम्युनिकेशन संस्थानों में फैकल्टी के तौर पर भी सेवाएं दे रही हैं. कला केंद्र में काम करते हुए भी लक्ष्मी उत्तराखण्ड के लिए अपने सरोकारों को नहीं भूलती वे उस टीम की ‘असिस्टेंट कोऑर्डिनेटर’ रहीं जिसके प्रयासों की बदौलत यूनेस्को ने साल 2009 में उत्तराखण्ड की लोककला रम्माण को विश्व धरोहर घोषित किया. कला केंद्र में उन्होंने देश के कई लोकालाकारों के साथ काम किया है.

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