देहरादून(मनीष डंगवाल) : उत्तराखंड बोर्ड के रिजल्ट के नतीजे आने के बाद कहा जा सकता है कि उत्तराखंड के सरकारी स्कूल फिर से फिसड्डी साबित हुए हैं. वहीं आरएसएस द्धारा संचालित सरस्वती विद्या मंदिर के स्कूलों ने उत्तराखंड बोर्ड के टाॅप 10 में बाजी मारी है, जिससे सवाल सरकारी स्कूलों के उन शिक्षकों पर उठता है जो सरकार के द्धारा मोटी तनख्वाह हासिल करने के बाद भी सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर नहीं बढ़ा पा रहे हैं. वहीं कम वेतन और तमाम अव्यवस्थओं को झेलने वाले सरस्वती विद्या मंदिर के शिक्षकों की कड़ी मेहनत से उत्तराखंड बोर्ड के टाॅपर से आरएसएस द्धारा संचालित सरस्वती विद्याा मंदिर के स्कूलों का मान बढ़ाया है।
हाईस्कूल में 10 में से 8 टाॅपर
उत्तराखंड बोर्ड के टाॅप 10 टाॅपरों की लिस्ट पर नजर दौडाएं तो टाॅप 10 में से 8 टाॅपर सरस्तवी विद्या मंदिर के ही छात्र हैं,जिससे सरस्वती विद्या मंदिर के शिक्षकों में भी उत्साह है।
इंटर में भी जलवा कायम
हाई स्कूल के ही परिणामों में नहीं इंटरमीडिएण्ट के परीक्षा परिणामों में भी सरस्वती विद्या मंदिर के छात्रों ने सरकारी स्कूलों के छात्रों को टाॅप लिस्ट में पीछे छोड़ दिया है। इंटर मीडिएट के टाॅप 10 छात्रों में से 6 सरस्वती विद्या मंदिर के छात्रों ने जगह बनाई है।
सरकारी स्कूलों की साख पर सवाल
उत्तराखंड बोर्ड के रिजल्ट में सरकारी स्कूलों का ग्राफ बोर्ड के टाॅपर देने में हर साल दर साल गिरता जा रहा है,जिससे सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो रहा है कि उत्तराखंड के जिस विभाग पर सरकार का सबसे ज्यादा बजट खर्च हो रहा है, वह विभाग अपनी साख के मुताबिक रिजल्ट नहीं दे पा रहा है,जिससे कहा जा सकता कि या तो सरकारी सिस्ट में ही खोट पैदा हो गया है और या तो फिर सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का ध्यान पढ़ाने पर कम है जिससे उम्मीद के मुताबिक सरकारी स्कूल बोर्ड परिक्षाओं में बेहतर रिजल्ट नहीं दे पा रहे है।