29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2025) के शुभ अवसर पर महाकुंभ में दूसरा अमृत स्नान होगा। इस दिन प्रयागराज (Prayagraj) में लगभग 10 करोड़ श्रद्धालुओं के गंगा में पवित्र डुबकी लगाने की संभावना है। मौनी अमावस्या का संगम पर स्नान आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद खास माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पितरों और देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और ग्रह दोषों का निवारण होता है। चलिए जानते है कि स्नान करने का शुभ मुहूर्त (Mauni Amavasya 2025 Snan Muhurat) क्या है?
मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के तीन मुहूर्त (Mauni Amavasya 2025 Snan Muhurat)
मौनी अमावस्या के इस महास्नान का आध्यात्मिक महत्व केवल स्नान तक ही सीमित नहीं है। ये आत्मशुद्धि और मोक्ष की कामना का प्रतीक है। लाखों श्रद्धालु संगम पर आकर इस अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव का हिस्सा बनेंगे।
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:25 से 6:18
- लाभ काल: सुबह 7:11 से 8:32
- अमृत काल: सुबह 8:32 से 9:53
अमृत स्नान की विधि और परंपरा
अमृत स्नान की शुरुआत अखाड़ों के साधु-संतों से होती है> जिसमें नागा साधु और भोलेनाथ के अनुयायी सबसे पहले स्नान करते हैं। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। गृहस्थ जीवन जीने वाले श्रद्धालुओं को साधु-संतों के स्नान के बाद गंगा में स्नान करना चाहिए।
स्नान की सही विधि
- पहली डुबकी: पूर्व दिशा में मुख करके लगाएं, इससे सूर्य और देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
- दूसरी डुबकी: पूर्व दिशा में ही लगाएं, इससे आस्था और शक्ति की प्राप्ति होती है।
- तीसरी डुबकी: उत्तर दिशा में मुख करके लगाएं, इससे शिव, सप्तऋषियों और गुरुओं का आशीर्वाद मिलता है।
- चौथी डुबकी: पश्चिम दिशा में मुख करके लगाएं, जिससे यक्ष, किन्नर, गरुड़ और 33 कोटि देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
- पांचवीं डुबकी: दक्षिण दिशा की ओर मुख करके लगाएं। इस दौरान हाथ में गंगा जल लेकर पितरों की आत्मा की शांति की प्रार्थना करें और जल को वापस नदी में प्रवाहित करें। इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शाही स्नान को अमृत स्नान क्यों कहा जाता है?
स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज के अनुसार, जब बृहस्पति वृष राशि में और सूर्य व चंद्रमा मकर राशि में होते हैं, तब 12 वर्षों में एक बार ऐसा संयोग बनता है। इस दौरान गंगा, यमुना और सरस्वती का जल अमृत समान हो जाता है। महाकुंभ के इस स्नान से मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसलिए इसे अमृत स्नान कहा जाता है।
महाकुंभ 2025 में बाकी अमृत स्नान की डेट
- बसंत पंचमी: 3 फरवरी 2025
- माघ पूर्णिमा: 12 फरवरी 2025
- महाशिवरात्रि: 26 फरवरी 2025