उत्तराखंड सहित पूरे हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियरों में लगातार हलचल हो रही है। ग्लेशियरों के पीछे खिसकने और ग्लेशियर लेक की संख्या और उनका आकार बढ़ने की खबरें अब बड़ी संख्या में आने लगी हैं। देहरादून स्थित एडीसी फाउंडेशन की अक्टूबर महीने की उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट एनालिसिस इनिशिएटिव (उदय) रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है।
उत्तराखंड के ग्लेशियरों में हो रही हलचल खतरे का संकेत
उत्तराखंड के ग्लेशियरों में लगातार हलचल हो रही है जो कि बेहद ही चिंताजनक स्थिति है। एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने इस तरह की घटनाओं को बेहद चिंताजनक बताया है। उन्होंने कहा है कि ये स्थिति आने वाले समय में उत्तराखंड में गंभीर समस्या खड़ी कर सकती है। इससे मानव और अन्य जीवों का जीवन प्रभावित हो सकता हैं।
संवेदनशील ग्लेशियर्स की लगातार हो निगरानी
अनूप नौटियाल ने राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसीज से नियमित रूप से संवेदनशील ग्लेशियर्स की निगरानी करने और अपनी जांच का दायरा बढ़ाने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने पूर्व में उदय रिपोर्ट का हवाला देते हुए उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग से राज्य में व्याप्त ग्लेशियर रिस्क्स पर समस्त हितधारकों के साथ विस्तृत अपडेट प्रस्तुत करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है।
पीछे हट रहे हिमालयी ग्लेशियर
अक्टूबर महीने की उदय रिपोर्ट के मुताबिक हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर के पीछे हटने से ग्लेशियल झील के फटने और अचानक बाढ़ आने का खतरा बढ़ गया है। वैज्ञानिक पत्रिकाओं के प्रतिष्ठित प्रकाशक स्प्रिंगर द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि पश्चिमी हिमालय में ग्लेशियर के पीछे हटने से इस क्षेत्र में ग्लेशियल झील के फटने से बाढ़ (जीएलओएफ) का खतरा बढ़ रहा है।
कश्मीर विश्वविद्यालय के सुहैल ए लोन और जी जीलानी द्वारा लिखित इस अध्ययन में जलवायु की दृष्टि से अलग-अलग दो घाटियों – कश्मीर हिमालय में लिद्दर बेसिन और लद्दाख में सुरू बेसिन की तुलना की गई है, ताकि हाल के दशकों में ग्लेशियर की स्थिति और क्षेत्रों में हुए बदलावों की जांच की जा सके।
मानवीय हस्तक्षेप के कारण ग्लेशियर खिसक रहे पीछे
अक्टूबर की उदय रिपोर्ट में पिंडारी ग्लेशियर पिछले 60 सालों में आधा किलोमीटर से ज्यादा पीछे खिसकने संबंधी खबर को भी शामिल किया गया है। रिपोर्ट कहती है कि मानवीय हस्तक्षेप में लगातार वृद्धि के कारण ग्लेशियर साल दर साल पीछे खिसक रहे हैं। 60 साल पहले ग्लेशियर का जहां जीरो प्वाइंट हुआ करता था। वहां अब भुरभुरे पहाड़ दिखाई देते हैं। ये परिवर्तन पर्यावरणीय बदलावों को उजागर करते हैं जो ग्लेशियर के पीछे हटने और प्राकृतिक और मानवीय कारकों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों को दर्शाते हैं।