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Kedarnath Yatra : केदारनाथ आ रहे हैं तो इन जगहों का भी करें दीदार, आपकी यात्रा को बना देंगे यादगार

Yogita Bisht
4 Min Read
KEDARNATH

अगर आप केदारनाथ आ रहे हैं तो आपको इन मंदिरों में जरूर जाना चाहिए क्योंकि इनके बिना आपकी ट्रिप लगभग अधूरी है।आज हम आपको केदारनाथ के कुछ बेहद खास मंदिरों के बारे में बताने वाले हैं जो आपकी यात्रा को और रोचक बनाएंगे। इन मंदिरों के दर्शन आपकी केदारनाथ यात्रा को और भी खास बना देंगे।

1. भुकुंट भैरव मंदिर (Bhukunt Bhairav ​​Temple)

भैरव को शिव का प्रिय गण माना जाता है। इनकी पूजा से भूत-प्रेत, ऊपरी बाधाएं और नकारात्मक शक्तियों जैसी परेशानियां दूर रहती हैं। कहा जाता है की भैरव के दर्शन किए बिना बाबा केदार के दर्शन अधूरे हैं। भुकुंट भैरव का ये मंदिर बाबा केदार के धाम से आधा किमी की दूरी पर है। इन्हें केदारनाथ का पहला रावल माना जाता है। इसके अलावा यहां इन्हें क्षेत्रपाल के रुप में भी पूजा जाता है।

आपको जानकर हैरानी होगी की बाबा केदार की पूजा से पहले केदारनाथ में भुकुंट भैरव की पूजा का विधान है। भुकुंट भैरव की पूजा होने के बाद ही केदारनाथ मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। अब क्योंकि भुकुंट भैरव को क्षेत्रपाल भी कहा जाता है तो शीतकाल में केदारनाथ की सुरक्षा की जिम्मेदारी भुकुंट भैरव के हाथों में ही होती है।

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भैरव मंदिर ———

2. अमृत कुंड (Amrit Kund)

अमृत कुंड केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे है। आपको बता दें की जब शुद्ध जल, गाय का दूध, घी, दही, शहद और सूखे मेवों से बाबा केदार के शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है तो वो इस अमृत कुंड में ही जाकर मिलता है। भक्त इस अमृत कुंड के जल को गंगा जल के बराबर ही मानते हैं, लोगों का मानना है की इस जल का उपयोग त्वचा के रोगों का उपचार करने के लिए किया जाता है।

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अमृत कुंड——

3. गौरी कुंड (Gauri Kund)

केदारनाथ की यात्रा गौरी कुंड से ही शुरू होती है। यहां से केदारनाथ तक 16 किलोमीटर का ट्रैक है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव से शादी करने के लिए माता पार्वती ने यहीं पर कठोर तप किया था और उनके तप से खुश होकर शिव ने उन्हें शादी का वचन भी दिया था। आपको ये जानकर हैरानी होगी की ये कुंड इतना चमत्कारी है, की चाहे कितनी ठंड क्यों ना हो इस कुंड का पानी हमेशा गर्म रहता है और इस जल को औषधीय गुणों से युक्त भी माना जाता है।

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गौरी कुंड ——–

4. ओमकारेश्वर मंदिर (Omkareshwar Temple)

उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग के उखीमठ में स्थित ओमकारेश्वर मंदिर बाबा केदार और मध्यमहेश्वर का शितकालीन निवास स्थान है। माना जाता है की जो भी व्यक्ति केदारनाथ और मध्यमहेश्वर जाकर भगवान शिव के दर्शन नहीं कर पाता वो अगर शीतकाल में आकर ओमकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार और मध्यमहेश्वर के दर्शन कर ले तो उसकी चारों धामों कि यात्रा पूरी हो जाती है। कहा जाता है कि यहां भगवान कृष्ण के पोते अनिरुद्ध और उषा का विवाह हुआ था।

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ओमकारेश्वर मंदिर ——–

5. तुंगनाथ (Tungnath)

केदारनाथ धाम से 22 किमी दूर स्थित है विश्व का सबसे ऊंचा शिव मंदिर तुंगनाथ। पौराणिक मान्यातों के मुताबिक यहां भगवान शिव की भुजा कि पूजा होती है। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ भगवती, उमादेवी और ग्यारह लघुदेवियां भी स्थापित हैं।

तुंगनाथ के कपाट बंद
तुंगनाथ

इन देवियों को द्यूलियाँ भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि रावण ने इसी स्थान पर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था और बदले में भोले बाबा ने उसे अतुलनीय भुजाबल प्रदान किया था।

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योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।