प्रहलाद मेहरा उत्तराखंड संगीत जगत का जाना-माना नाम था। दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका निधन हो गया। उनके निधन की खबर के बाद से लाखों पहाड़ियों की आंखें नम हो गई हैं। उनकी आवाज में ऐसा जादू था कि लोग उन्हें सुनने के लिए इंतजार करते थे। ऐसा कहा जाता था कि प्रहलाद दा के बिना हर महफिल अधूरी थी।
लाखों लोगों को रुला गए आज प्रहलाद मेहरा
उत्तराखंड के मशहूर पहाड़ी सिंगर प्रहलाद मेहरा का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। उन्होंने हल्द्वानी के कृष्णा अस्पताल में अपनी अंतिम सांसें ली। उनके निधन की खबर से संगीत प्रेमियों में शोक की लहर है। प्रहलाद मेहरा उत्तराखंड के संगीत जगत की मशहूर शख्सियत थे। उनके गीत इतने कर्णप्रिय और पहाड़ की बातें लिए होते थे कि कोई सुन ले तो गुनगुनाए बिना नहीं रह पाता था।
प्रहलाद दा को बचपन से ही था गाने का शौक
आपको बता दें कि उत्तराखंड के वरिष्ठ लोक गायक प्रहलाद सिंह मेहरा का जन्म चार जनवरी 1971 को पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी तहसील चामी भेंसकोट में एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम हेम सिंह और माता का नाम लाली देवी है। प्रहलाद मेहरा को लोग प्यार से प्रहलाद दा कहकर बुलाते थे। प्रहलाद सिंह मेहरा को बचपन से ही गाने का शौक था। इसके साथ ही उन्हें वाद्य यंत्र बजाने का शौक भी था। स्वर सम्राट गोपाल बाबू गोस्वामी से प्रभावित होकर वो उत्तराखंडी संगीत जगत में आए थे।
उत्तराखंड संगीत जगत में दिया महत्वपूर्ण योगदान
पहाड़ी सिंगर प्रहलाद मेहरा उत्तराखंड के स्टार सिंगरों में से एक थे। साल 1989 में अल्मोड़ा आकाशवाणी में उन्होंने स्वर परीक्षा पास की वो अल्मोड़ा आकाशवाणी में A श्रेणी के गायक थे। उन्होंने अपने गीतों के जरिए उत्तराखंड संगीत जगत में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके गीत पहाड़ की खूबसूरती को दिखाते तो वहीं पहाड़ की परेशानियों को भी। उत्तराखंड में रहने वाला कोई व्यक्ति हो या प्रवासी उत्तराखंडी उनकी आवाज को सुनकर एक गीत को पूरा जरूर सुनता था।
ओ हिमा जाग…, का छ तेरो जलेबी को डाब, चंदी बटना दाज्यू, कुर्ती कॉलर मां मेरी मधुली, एजा मेरा दानपुरा और रंगभंग खोला पारी उनके कुछ ऐसे गाने हैं जिन्होंने उनको लोगों का फेवरेट बना दिया। कुछ समय पहले आए उनके गीत रंगभंग खोला पारी ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी थी। इस गीत को सिर्फ दो हफ्तों में ही दस लाख से ज्यादा लोगों ने सुना था।