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आज भी पेड़ पर चढ़कर नेटवर्क ढूंढने को मजबूर लोग, अल्मोड़ा लोकसभा सीट के 1250 गांवों में नहीं है संचार की सुविधा

Yogita Bisht
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नो नेटवर्क

आज जहां सोशल मीडिया और फोन के बिना जीवन की कल्पना भी लोग नहीं कर सकते हैं तो वहीं देश में आज भी कुछ इलाके ऐसे हैं जहां इंटरनेट तो दूर की बात लोग नेटवर्क के लिए लोगों को पेड़ और पहाड़ में चढ़ने पड़ते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि अल्मोड़ा लोकसभा सीट के चारों जिलों में 1250 ऐसे गांव हैं जहां आज भी संचार की कोई व्यवस्था नहीं है।

1250 गांवों में आज भी नहीं है संचार की सुविधा

अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र के चार जिलों अल्मोड़ा बागेश्वर. पिथौरागढ़ और चम्पावत में आज भी 1250 ऐसे गांव हैं जहां आज भी संचार की कोई व्यवस्था नहीं है। बता करें पिथौरागढ़ जिले की तो दोबांस और नेपाल सीमा से लगे गांव गिठीगड़ा, घिंघरानी, बारमो, कुनकटिया, रणवा, खर्कतड़ी, धामीगौड़ा, बथोली समेत कई तोकों में गांव वालों को बात करने के लिए भी पहाड़ की चोटियां और पेड़ चढ़ने पड़ते हैं। तब जाकर उनकी किसी से बात हो पाती है। मिली जानकारी के मुताबिक बीएसएनएल का एक टावर दोबांस क्षेत्र में लगा है। लेकिन उस से आस-पास ही नेटवर्क मिलता है। लेकिन ये 70 फीसदी तोकों में काम नहीं करता है।

173 टावर में से 50 लगा दिए गए हैं – BSNL

बीएसएनएल के जीएम महेश सिंह निर्खुपा के मुताबिक इस क्षेत्र में 173 टावर लगाए जाने हैं। जिसमें से 50 लगा दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि बार्डर आउट पोस्ट पर 24 टॉवर मुनस्यारी के मिलम से धारचूला के गुंजी तक लगाए जाने हैं। इन टॉवरों के लगने के बाद उच्च हिमालयी क्षेत्र में सुरक्षा में जुटे सैनिकों को संचार में सुविधा होगी।

जल्द ग्राम पंचायतें जुड़ेंगी ऑप्टिकल फाइबर से

भारत संचार निगम लिमिटेड के जीएम महेश सिंह निर्खुपा ने बताया कि भारत नेट प्रोजेक्ट के तहत उत्तराखंड की सात हजार से ज्यादा गांवों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि ऑप्टिकल फाइबर से रिंग कनेक्टिविटी से 7966 ग्राम पंचायतों को जोड़ने की कवायद की जा रही है।

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योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।