National : मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी की सुप्रीम जीत, निचली अदालतों के फैसले पर सवाल - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी की सुप्रीम जीत, निचली अदालतों के फैसले पर सवाल

Reporter Khabar Uttarakhand
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RAHUL GANDHI राहुल गांधी

मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाई है। इसके साथ ही निचली अदालतों के फैसले पर भी सवाल उठाया है।

पूर्णेश मोदी पर ही उठा सवाल

मोदी सरनेम मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए। सिंघवी ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कराने वाले गुजरात बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी पर ही सवाल उठा दिए। पूर्णेश ने ही सूरत की अदालत में राहुल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज करवाया था।

सिर्फ बीजेपी नेता ही पीड़ित हुए !

सिंघवी ने कहा कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में जिन-जिन लोगों का नाम लिया, उनमें से किसी ने केस नहीं किया। 13 करोड़ लोगों के समुदाय में केवल वही पीड़ित हुए और उन्होंने ही केस किया जो बीजेपी के नेता हैं।

उन्होंने ये भी कहा कि शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी का मूल उपनाम ‘मोदी’ नहीं है और उन्होंने बाद में यह उपनाम अपनाया। सिंघवी ने आगे निचली अदालत के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि वहां के न्यायाधीश इसे गंभीर अपराध मानते हैं, जबकि ये अपराध समाज के विरुद्ध नहीं था। ना ही ये अपहरण या बलात्कार या हत्या का केस था। लोकतंत्र में हमारे पास असहमति है, जिसे हम ‘शालीन भाषा’ कहते हैं। गांधी कोई कट्टर अपराधी नहीं हैं।

अदालत में तर्क वितर्क

सिंघवी ने ये भी बताया कि इस फैसले की वजह से राहुल की सांसदी चली गई और वो पिछले दो सत्र में संसद की कार्यवाही में शामिल नहीं हो पाए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि वायनाड के लिए अब तक अधिसूचना जारी नहीं हुई, क्योंकि इन्हें मालूम है कि वो वहां से नहीं जीतेंगे। वहीं पूर्णेश मोदी के वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि राहुल गांधी का भाषण पढ़िए, जान-बूझकर उन्होंने मोदी सरनेम के लोगों को बदनाम किया। देश के मौजूदा प्रधानमंत्री का नाम मोदी है, तो आपने पूरे एक समुदाय को बदनाम कर दिया। उनके भाषण में जाति का भी मामला है, मतलब ये दो तरह से मानहानि हुई।

निचली अदालतों ने अधिकतम सजा क्यों दी?

जज ने वकीलों को दी सलाह सिंघवी और जेठमलानी की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस गवई ने कहा कि केस को राजनीतिक मत बनाइए, आप और जेठमलानी जी अपनी राजनीति राज्यसभा के लिए बचाकर रखिए। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि वो जानना चाहते हैं कि अधिकतम सजा क्यों दी गई? सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि अगर जज ने 1 साल 11 महीने की सजा दी होती तो वो (राहुल गांधी) अयोग्य नहीं ठहराए जाते।

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