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भल्ड गांव के ग्रामीणों ने दो दिन के लिए स्थगित किया जल समाधि लेने का फैसला, ये है पूरा मामला

Yogita Bisht
3 Min Read
TIHRI

भल्ड गांव के नीचे खतरनाक पहाड़ी पर टिहरी डैम की झील के किनारे विस्थापन की मांग को लेकर गांव वाले धरने पर बैठे हैं। भल्ड गांव के ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन को टिहरी झील में जल समाधि लेने की चेतावनी दी थी। जिसे डीएम के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने स्थगित कर दिया है।

भल्ड गांव के ग्रामीणों ने स्थगित किया जल समाधि लेने का फैसला

टिहरी और उत्तरकाशी जिले की सीमा पर बसा भल्डगांव के ग्रामीण विस्थापन की मांग को लेकर नौ दिनों से भल्ड गांव के नीचे खतरनाक पहाड़ी पर टिहरी डैम की झील के किनारे विस्थापन की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन को टिहरी झील में जल समाधि लेने की चेतावनी दी थी।

डीएम टिहरी के आश्वासन पर भल्ड गांव के ग्रामीणों ने दो दिन के लिए टिहरी झील में जल समाधि लेने का फैसला स्थगित कर दिया है। मंगलवार को ग्रामीणों की जिला प्रशासन और टीएचडीसी के अधिकारियों के साथ बैठक होगी। जिसके बाद आगे का फैसला लिया जाएगा।

डीएम के आश्वासन के बाद मानें ग्रामीण

ग्रामीणों द्वारा जल समाधी की चेतावनी पर ग्रामीणों की सुरक्षा को लेकर टिहरी डीएम व पुनर्वास निदेशक मयुर दीक्षित और उत्तरकाशी डीएम ने ग्रामीणों की समस्याओं का संज्ञान लिया। शासन-प्रशासन की पूरी टीम पुलिस बल के साथ ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए धरना स्थल पर पहुंची।

एसडीएम मीनाक्षी पटवाल, पुनर्वास विभाग से अधिशासी अभियंता धीरेंद्र नेगी, शक्ति चमोली ने ग्रामीणों को जल समाधी लेने से रोका। उसके बाद ग्रामीणों से धरना खत्म करने के लिए वार्ता की गई। जिस पर ग्रामीणों ने बड़ी मुश्किल से जिलाधिकारी के आश्वासन पर जल समाधि के कार्यक्रम को दो दिन के लिए स्थगित किया है।

मंगलवार को ग्रामीणों की अधिकारियों के बीच होगी बैठक

दो दिन बाद मंगलवार को जिलाधिकारी और टिहरी बांध परियोजना के अधिकारियों के साथ ग्रामीणों की एक बैठक करवाई जाएगी। ग्रामीणों का कहना है कि अगर बैठक में समस्या के समाधान की सकारात्मक पहल होती है तो जल समाधि और धरना समाप्त कर दिया जाएगा। अगर वार्ता विफल रहती है तो आने वाले बुधवार को ग्रामीण टिहरी झील में जल समाधि ले लेंगे।

20 साल से ग्रामीण कर रहे विस्थापन की मांग

धरने पर बैठे भल्ड गांव के पूर्व प्रधान कमल सिंह के साथ-साथ गांव की महिलाओं का कहना है कि हम लगातार 20 सालों से विस्थापन की मांग करते आ रहे हैं। लेकिन अभी तक विस्थापन नहीं किया गया।

जबकि भूगर्भ वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है कि रोलाकोट नकोट भल्डगांव खतरे की जद में है। इसके बाद पुनर्वास विभाग ने रौलाकोट, नकोट,का विस्थापन कर दिया और भल्डगांव को छोड़ दिया। इसलिए हमें मजबूर होकर टिहरी झील के किनारे अपनी जान जोखिम में डालकर धरने पर बैठना पड़ा।

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योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।