Dehradun : उत्तराखंड : कितनी सुरक्षित हैं महिलाएं, सोचने पर मजबूर कर देंगे ये आंकड़े - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

उत्तराखंड : कितनी सुरक्षित हैं महिलाएं, सोचने पर मजबूर कर देंगे ये आंकड़े

Reporter Khabar Uttarakhand
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# Uttarakhand Assembly Elections 2022

# Uttarakhand Assembly Elections 2022

  • रक्शंदा खान

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस। इस दिन को महिलाओं के सम्मान के दिन के रूप में मनाया जाता है। महिलाओं के सम्मान की बातें की जाती हैं। महिला अपराधों को रोकने के लिए भी बड़ी-बड़ी बातें होती रहती हैं। लेकिन, ये केवल बातें ही होती हैं। समाज में महिलाओं को आज तक वो सुरक्षा नहीं मिल पाई है कि वो बेखौफ घूम सकें।

आज भी कुछ आंखें उनको संर्कीणता से देखती हैं। महिलाओं के प्रति पुरुषों का नजरिया भले ही बदला हो, लेकिन पूरी तरह अब तक नहीं बदल पाया है। आलम यह है कि महिला अपराधों में आज भी कमी आने के बजाय लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। ये यह साबित करने के लिए काफी है कि पुरुषों का नजरिया आज भी नहीं बदला है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को बड़ी उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। महिलाओं के सम्मान में कई कार्यक्रम आयोजित है। महिलाएं किसी से कम नही, पुरुषों के बराबर आज महिलाएं है। नई नई बातें, नए नए किस्से। महिलाएं देश की रीढ़ राज्य की समृद्धि। लेकिन बात जब महिला की अस्मत की आए। तो उसका सम्मान भूला दिया जाता है। ये एक ऐसा सच है जिसे नकारा नहीं जा सकता। आज की रिपोर्ट मे हम आपको महिलाओं के खिलाफ हुए अपराध से वाकिफ कराएंगे।

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। महिलाओं के सम्मान मे कई कार्यक्रम आयोजित है। लेकिन इन कार्यक्रमों के साथ आपको इस बात से भी रुबरु होना चाहिए। कि आपके प्रदेश मे महिलाएं कितनी महफूज़ है। पहाड़ी राज्यों के मुताबिक महिलाओं के साथ हुए क्राइम मे उत्तराखंड सबसे आगे है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की जारी रिपोर्ट इस बात की गवाह है, कि साल 2020-21 मे उत्तराखंड राज्य की महिलाओं के साथ अपराधिक घटनाओं मे इज़ाफा हुआ है। ये उस वक्त का आंकड़ा है। जब पूरा विश्व वैश्विक महामारी कोविड 19 से जुझ रहा था। महामारी से बचने के लिए लॉकडाउन लगाया गया। तब उत्तराखंड राज्य महिलाओं के ऊपर हुए अपराध के रिकार्ड कायम कर रहा था।

ये आंकड़ा सिर्फ उत्तराखंड राज्य का है। महिलाओं के खिलाफ होते अपराध में पूरे भारत मे हर एक दिन औसतन 77 मामले दुष्कर्म के दर्ज होते हैं। कई मामले हाइलाइट हो जाते है। तो कईयों का पता ही नहीं चल पाता है। जो हाइलाइट होते है, उनके लिए सड़कों पर कैंडल मार्च निकाला जाता है।

इंसाफ की गुहार लगाई जाती है। मगर वक्त के साथ आंदोलन की आवाज़ भी धीमी हो जाती है और इंसाफ की लड़ाई भी दम तोड़ जाती है। महिलाओं को मिले जख्म नासूर बन जाते है। आज महिलाओं को सम्मान से कहीं अधिक उनके आत्मसम्मान की सुरक्षा की जरूरत है। उनकी सुरक्षा की गारंटी की है।

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