Assembly Elections : उत्तराखंड : अब तक रहा बराबरी का मुकाबला, इस बार कौन मारेगा बाजी - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

उत्तराखंड : अब तक रहा बराबरी का मुकाबला, इस बार कौन मारेगा बाजी

Reporter Khabar Uttarakhand
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# Uttarakhand Assembly Elections 2022

# Uttarakhand Assembly Elections 2022

चम्पावत: 2022 की बिसात में राजनीतिक दल पूरा जोर लगाए हुअए हैं। मैदान से पहाड़ तक चुनावी शोर सुनाई दे रहा है। भाजपा और कांग्रेस के साथ ही चम्पावत विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी भी पूरा जोर लगा रही है। सियासी समीकरण भी बदलने नजर आ रहे हैं। चम्पावत सीट पर कुल 96 हज़ार 16 वोटर हैं।

इस सीट के विधानसभा चुनाव का इतिहास देखा जाए तो 2002 में कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल, 2007 में भाजपा के बीना महराना ने जीत हासिल की थी। 2012 में कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल और 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के कैलाश चंद्र गहतोड़ी यहां से विधायक चुने गए। 2022 की बिसात में इस बार चम्पावत सीट से सीटिंग विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी मैदान में है, तो कांग्रेस ने हेमेश खर्कवाल पर दांव खेला है।

वहीं, पहली बार सियासी ज़मीन तलाश रही आम आदमी पार्टी की तरफ से मदन सिंह महर चुनावी रण में कूदे हैं। अब तक राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के दबदबे वाली इस सीट से बारी-बारी से दोनों ही दल जीतते आएं हैं। लेकिन, सीधे मुकाबले के बावजूद इस बार आम आदमी पार्टी इस सीट पर चुनावी समीकरण बना और बिगाड़ सकती है।

साल 2012 में बसपा के टिकट से दूसरे नम्बर पर रहे मदन सिंह महर 2017 में भाजपा के साथ थे। लेकिन, इस बार आप पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी। अल्मोड़ा लोकसभा सीट के अंतगर्त आने वाली 14 विधानसभा सीटों में सिर्फ चम्पावत सीट ऐसी है, जिसमें पहाड़ के अलावा 15 प्रतिशत हिस्सा मैदान का भी है।

करीब 65 किमी नेपाल सीमा से लगी चम्पावत सीट के मैदानी क्षेत्र में पहाड़ से 1 हज़ार 286 वोट ज्यादा होने से इस सीट पर जातिगत समीकरण से ज्यादा क्षेत्रवाद की हवा बहती रही है। मैदान और पहाड़ वाली इस सीट में इसी वजह से सात में 6 प्रत्याशी मैदान से हैं। ऐसे में 2022 की बिसात में वोटर्स के सामने दलीय प्रतिबद्धता, जाति और इलाकावाद में असमंजस है।

हालांकि स्थानीय जनता दलगत, धर्म और जाति के मुद्दों से इतर चुनावी मुद्दें और मूलभूत सुविधाओं से जुड़े मसलों को तरज़ीह दे रही है। ऐसे में हमेशा से बीजेपी कांग्रेस में सीधा मुकाबला रहने वाले इस चुनावी टक्कर में कौन बाज़ी मारेगा और कौन किसके हाथों शिकस्त खाएगा ये देखना दिलचस्प होगा।

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