Bageshwar : उत्तराखंड: 30 साल बाद अचानक लौट आया खोया बेटा, लाडले को एकटक निहारती रही मां - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

उत्तराखंड: 30 साल बाद अचानक लौट आया खोया बेटा, लाडले को एकटक निहारती रही मां

Reporter Khabar Uttarakhand
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After 30 years

After 30 years

बागेश्वर: हमारी जब कोई चीज कहीं खो जाती है, तो हम परेशान हो जाते हैं। चीज छोटी हो या फिर बड़ी, दोनों को खोजने का प्रयास भी करते हैं। लेकिन, जब नहीं मिलती, तो बहुत निराशा होती है। सोचिए अगर किसी मां का बेटा खो गया हो और तमाम प्रयासों के बाद भी ना मिला पाया हो, उस मां पर क्या गुजरती होगी। उसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। लेकिन, जब वही खोया बेटा दो-चार नहीं, बल्कि पूरे 30 साल बाद वापस लौ आए, तो मां की खुशी का अंदाजा लगाया जा सकता है।

कुछ ऐसी घटना बागेश्वर जिले में सामने आई है। यहां एक मां को खोया बेटा 30 साल बाद वापस घर लौट आया। बेटे के लिए सालों से तड़प रही मां ने उसे सामने देखा तो आंखों से आंसू बहने लगे। वो समझ नहीं पा रही थी कि कैसे अपनी खुशी बंया करे। उसे जो सामने दिखा, पहले उस पर भरोसा ही नहीं हुआ। लेकिन, जब बेटे ने मां के पैर छूए और ईजा कहकर पुकारा तो मां ने उसे गले लगा लिया।

बागेश्वर जिले के दुग नाकुरी तहसील के सुरकाली गांव निवासी 45 वर्षीय दिनेश पुत्र गोविंद गिरी ने 15 साल की उम्र में घर की माली हालत सुधारने का लक्ष्य लेकर घर से निकल गया था। उसने सोचा था कि बाहर जाकर रोजगार करेगा। 1992 में घर से नौकरी करने निकल गया। वो घर से तो चला गया था, लेकिन उसकी ना तो कहीं से खबर आई और ना खुद घर लौटकर आया। लेकिन, उसकी ईजा को पूरा भरोसा था कि बेटा लौट आएगा।

जानकारी के अनुसार 19 जून 2021 में महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले से दिनेश को स्नेह मनोयात्री पुनर्वसन केंद्र अहमदनगर की टीम में रेस्क्यू किया। वह सड़क पर बदहवास हालत में मिला था। डॉक्टरों से उसका इलाज कराया गया। दिनेश को अपना घर आश्रम, दिल्ली में शिफ्ट किया गया। दिल्ली में श्रद्धा रिहैबिलिटेशन फाउंडेशन के ट्रस्टी और रैमन मैग्सेसे अवार्डी डॉ. भरत वाटवानी के अधीन उसका मानसिक उपचार हुआ। सोशल वर्कर नितिन और मुकुल ने दिनेश की काउंसिलिंग की।

जब दिनेश ठीक हुआ तो उसने अपना नाम, पता बताया। तब से ही उसको परिजनों से मिलवाने की तैयारी शुरू कर दी गई थी। श्रद्धा फाउंडेशन संस्था से जुड़े बरेली के मनोवैज्ञानिक शैलेश कुमार शर्मा और विधि अर्पिता सक्सेना उनको घर लेकर पहुंचे तो गांव वालों का हुजूम उमड़ पड़ा। टीम ने बताया कि वह मानसिक रूप से परेशान था। संस्था उसका उपचार कर रही है।

मां जानकी देवी ने बताया कि दिनेश सभी भाइयों से बड़ा है। उसके बाद भूपेंद्र और पवन हैं। पिछले तीस सालों से लापता था। नौकरी के लिए घर से निकला था। तब से उसकी कोई खबर नहीं आई थी। उसके साथ क्या हुआ कुछ पता नहीं। मुझे भगवान पर भरोसा था कि मेरा बेटा एक दिन जरूर लौटेगा। भगवान ने मेरी सुन ली और मेरा बेटा लौट आया।

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