Dehradun : उत्तराखंड: दिल में था छेद, फेफड़े में खून के थक्के, AIIMS के डाॅक्टरों ने दिया जीवनदान - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

उत्तराखंड: दिल में था छेद, फेफड़े में खून के थक्के, AIIMS के डाॅक्टरों ने दिया जीवनदान

Reporter Khabar Uttarakhand
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aiims rishikesh

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ऋषिकेश: हरिद्वार निवासी एक 7 साल के बच्चे के लिए एम्स के डाॅक्टर वरदान साबित हुए हैं। डाॅक्रों ने बच्चे की दिल की तीन जटिल बीमारियों के सीटीवीएस विभाग ने सफलतापूर्वक सर्जरी की है। डाॅक्टरों के अनुसार ऐसे केस आमतौर पर दुर्लभ होते हैं। अत्यधिक जटिल ऑपरेशन को सफलता से करने पर एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कॉर्डियक सर्जन डाॅ. अनीश गुप्ता और उनकी टीम की सराहना की और उन्हें प्रोत्साहित किया। एम्स निदेशक ने बताया कि यह टैट्रालोजी ऑफ फैलोट, सिंगल कोरोनरी, पल्मोनरी एम्बोलिजम नामक दुर्लभ बीमारी थी,जिसमें जटिल ऑपरेशन किया गया जो कि सफल रहा।

हरिद्वार के रुड़की लंढौंरा निवासी एक सात साल के बच्चे को बचपन से ही दिल की गंभीर तकलीफ थी, जिसे पिछले कुछ वर्षों से सांस फूलनी भी शुरू हो गई थी। जिस वजह से गत वर्ष 2020 में बच्चे के परिजनों ने बच्चे का एम्स ऋषिकेश में स्वास्थ्य परीक्षण कराया। जांच के दौरान इको और एंजियोग्राफी से पता चला कि उसके दिल में छेद है। साथ ही उसके पल्मोनरी वाल्व में रुकावट (टैट्रालोजी ऑफ फैलो) है। हृदय को रक्त पहुंचाने वाली सिंगल कोरोनरी आरटरी (एक ही धमनी) है, जबकि इन धमनियों की संख्या आमतौर पर दो होती है। लिहाजा सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों ने बच्चे की जटिल सर्जरी का परामर्श दिया। मगर बीते साल लॉकडाउन की वजह से बच्चे का ऑपरेशन टल गया।

इसी बीच बच्चे को लगातार बुखार आना शुरू हो गया था। लिहाजा उसकी दोबारा जांच कराई गई,जिसमें पता चला कि उसके फेफड़े की नलियों में पल्मोनरी इंबोलिजम (खून के थक्के) बन गए हैं। लिहाजा बच्चे को इस जानलेवा बीमारी के लिए अत्यंत जटिल ऑपरेशन की जरुरत थी। एम्स के सीटीवीएस विभाग के पीडियाट्रिक कॉर्डियक सर्जन डाॅ. अनीश गुप्ता ने इस मेजर सर्जरी को सफलतापूर्वक बखूबी अंजाम दिया।

पीडियाट्रिक कॉर्डियक सर्जन डा. अनीश ने बच्चे के दिल के छेद को बंद कर उसके फेफड़ों से जमा खून के थक्के निकाले, साथ ही बड़ी सावधानी से उसके पल्मोनरी वाल्व को भी सुरक्षित बचा लिया। अन्यथा इस बच्चे को निकट भविष्य में इस समस्या से निजात पाने के लिए कई अन्य ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ती। अत्यधिक जटिल सर्जरी के सफल होने के बाद बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ है,जिसे एम्स अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि संस्थान में हृदय की जन्मजात बीमारियां जैसे एएसडी, वीएसडी, पीडीए, टीओएफ, पीएपीवीसी, सिंगल वेंट्रियल आदि का उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इन बीमारियों का इलाज भारत सरकार द्वारा आयुष्मान भारत योजना और राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम आरबीएसके स्कीम के अंतर्गत मुफ्त भी उपलब्ध है।

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